भारतीय महिलाओं की समस्या कौन सी है? - bhaarateey mahilaon kee samasya kaun see hai?

प्रश्न : 21. भारत में महिलाओं की कोई पाँच प्रमुख समस्याएँ लिखिए।

उत्तर-भारत की महिलाओं की समस्याओं को निम्नानुसार स्पष्ट किया जा सकता है
(1) शैक्षणिक समस्यायें- भारत में नगरों की तुलना में गाँवों में स्त्री साक्षरता बहुत कम है। डॉक्टरी, इंजीनियरिंग, वकालत एवं अन्य तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने वाली लड़कियों की संख्या तो और भी कम है। स्त्रियों को शिक्षा न दिलाने का कारण पर्दाप्रथा और स्त्रियों की पुरुषों पर निर्भरता एवं उनका कार्यक्षेत्र घर तक ही सीमित होना है।
(2) सामाजिक समस्या-परिवार एवं विवाह से सम्बन्धित समस्या–परम्परावादी भारतीय समाज महिलाओं के साथ परिवार में दोयम दर्जे के नागरिक की भाँति व्यवहार का पक्षधर है। संयुक्त परिवार व्यवस्था में स्त्रियों की बड़ी दुर्दशा होती है। वे दासी की तरह जीवन व्यतीत करती हैं। उसे सास, ननद के उलाहने, गालियों एवं प्रताड़ना का शिकार बनना पड़ता है। परिवार की भाँति ही भारतीय स्त्रियों की वैवाहिक समस्यायें भी गम्भीर है। विवाह से सम्बन्धी उनकी प्रमुख समस्यायें निम्नलिखित हैं
(अ) बाल-विवाह-प्राचीन समय से भारत में बाल-विवाह का प्रचलन रहा है। कम आयु में ही लड़की का विवाह कर देना माता-पिता का धार्मिक कर्तव्य माना गया है। आज भी ग्रामों में ऐसे विवाह बहुत सम्पन्न होते हैं। बाल विवाह के दुष्परिणाम बुरे स्वास्थ्य, अकाल मृत्यु, वैधव्य के रूप में महिलाओं को ही भुगतने पड़ते हैं।
(ब) विधवा-पुनर्विवाह का अभाव-हिन्दुओं में पत्नी की मृत्यु के बाद पति को तो दूसरा विवाह करने की छूट दी गई है किन्तु स्त्रियों को पति की मृत्यु के बाद दूसरा विवाह करने की मनाही है। विधवा स्त्री अच्छा भोजन नहीं कर सकती। उसके भोजन में मीठे, चटपटे, स्वादिष्ट एवं पौष्टिक तत्वों के स्थान पर सादी वस्तुएँ मात्र होनी चाहिए। शुभ कार्यों में विधवाओं की उपस्थिति अपशकुन मानी जाती है। विधवा महिला को शारीरिक, मानसिक यातनायें, कठोर जीवन, समाज की उपेक्षा, कटुवचन भी सहने पड़ते हैं।
(स) दहेज-वर्तमान में दहेज एक गम्भीर समस्या बनी हुई है दहेज की समस्या के कारण ही अनेक क्षेत्रों में बच्चियों को जन्म लेते ही मार दिया जाता है। जलाने, मार डालने की घटनायें होती हैं दहेज के कारण लड़कों के मोल भाव होते हैं और जो ऊँची बोली लगाता है उसे ही अच्छा वर मिल जाता है। दहेज ने ही बालिका वध, पारिवारिक विघटन, ऋणग्रस्तता, निम्न जीवन स्तर, बहुपत्नी प्रथा, बेमेल विवाह, अपराध, अनैतिकता, भ्रष्टाचार एवं अनेक मानसिक बीमारियों को जन्म दिया है।
(द) तलाक की समस्या–परम्परागत हिन्दू समाज में जन्म-जन्मांतर के वैवाहिक बंधन में विश्वास के कारण महिलाओं को पुरुष द्वारा अन्याय और अत्याचार सहन करने के बाद भी तलाक न लेने की नसीहत दी जाती है। तलाक किन्हीं भी कारणों से हो तलाकशुदा स्त्री को तलाक के बाद उपेक्षा की नजर से देखा जाता है। तलाक के बाद उससे आसानी से कोई विवाह भी नहीं करता। वह अकेलेपन का जीवन जीने, समाज में कुदृष्टि से देखे जाने तथा अनावश्यक छींटाकशी का शिकार होती है।
(इ) वेश्यावृत्ति-गरीबी, धन की लालसा, दहेज, बाल-विवाह, विधवा पुनर्विवाह पर मनाही इत्यादि कारणों से भारत में वेश्यावृत्ति और कालगर्ल्स की समस्या महिलाओं के लिए बंद समाज की मानसिकता के कारण गम्भीर होती जा रही है।
(उ) पर्दा प्रथा-भारतीय स्त्रियों की एक बड़ी समस्या पर्दा प्रथा भी है। स्त्रियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे घूघट निकाले और अन्य पुरुषों से दूरी बरते। उनके सामने खुले मुंह बात न करें। पर्दा प्रथा के कारण स्त्रियों के व्यक्तित्व का विकास नहीं हो पाता है, वे शिक्षा ग्रहण करने एवं अर्जन करने से वंचित रह जाती हैं तथा स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है।
(3) समानता और सामंजस्य की समस्या- भारतीय समाज में पुरुष प्रधान मानसिकता के कारण महिलाओं को अनेक वैधानिक प्रयत्नों के बावजूद समानता का दर्जा नहीं मिल पाया। घर-परिवार, कार्य की दशाओं, दैनिक मजदूरी इत्यादि के अनेक क्षेत्रों में उन्हें पुरुषों के बराबर नहीं माना जाता । शिक्षित स्त्रियों में घर एवं बाहर के कार्यों में सामंजस्य नहीं हो पा रहा है। वह भूमिका द्वन्द्व में फँसी हुई है। घर की परम्परागत भूमिका तथा कार्यालय की समये की पाबंदी और कार्यालयीन कार्य की भूमिका से सामंजस्य नहीं बैठा पाती।
(4) स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या-भारत में यद्यपि स्त्री एवं पुरुष दोनों की औसत आयु में वृद्धि हुई है फिर भी पुरुषों की तुलना में स्त्रियों की जीवन अवधि सदैव ही कम रही है। असमान लिंगानुपात, स्त्रियों की औसत आयु में कमी एवं मृत्यु-दर की अधिकता के लिए बाल विवाह, प्रसवकाल में स्त्रियों की मृत्यु, स्त्रियों की आर्थिक परनिर्भरता, लड़कियों की अपेक्षा लड़कों को अधिक महत्व देना, कुपोषण एवं स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव आदि उत्तरदायी है।
(5) आर्थिक समस्यायें- भारतीय नारियों की समस्यायें उनकी गरीबी, आर्थिक पराश्रितता एवं शोषण से जुड़ी हुई हैं। अधिकांशत: महिलायें कृषि कार्य से ही सम्बन्धित हैं। इसके अतिरिक्त वे खनन, पशुपालन एवं श्रमिक कार्य में लगी हुई हैं। उच्च पदों पर आसीन स्त्रियाँ तो गिनती की हैं। संयुक्त परिवार प्रणाली, पुरुषों पर निर्भरता, अज्ञानता, पर्दा प्रथा, रूढ़िवादिता आदि कारणों से स्त्रियों का कार्य क्षेत्र घर तक ही सीमित है और वे अक्सर कमाने के लिये बाहर नहीं जाती । फलस्वरूप उन्हें अपने भरण-पोषण तक के लिये पुरुष की ओर देखना होता है। वह स्वावलम्बी नहीं हो पाती है।

भारत में महिलाओं की प्रमुख समस्या क्या है?

असमान लिंगानुपात, स्त्रियों की औसत आयु में कमी एवं मृत्यु-दर की अधिकता के लिए बाल विवाह, प्रसवकाल में स्त्रियों की मृत्यु, स्त्रियों की आर्थिक परनिर्भरता, लड़कियों की अपेक्षा लड़कों को अधिक महत्व देना, कुपोषण एवं स्वास्थ्य सेवाओं का अभाव आदि उत्तरदायी है।

भारतीय समाज में महिलाओं की क्या स्थिति है?

भारत में महिलाओं की स्थिति सदैव एक समान नही रही है। इसमें युगानुरूप परिवर्तन होते रहे हैं। उनकी स्थिति में वैदिक युग से लेकर आधुनिक काल तक अनेक उतार - चढ़ाव आते रहे हैं तथा उनके अधिकारों में तदनरूप बदलाव भी होते रहे हैं। वैदिक युग में स्त्रियों की स्थिति सुदृढ़ थी , परिवार तथा समाज में उन्हे सम्मान प्राप्त था।

भारत में महिलाओं की शिक्षा की मुख्य समस्या क्या है?

छुआछुत, बाल-विवाह, पर्दा प्रथा जैसी रूढ़ियों के कारण अनेक बालिकाओं को शिक्षा से वंचित रह जाना पड़ता है। रूढिवादी व्यक्ति के विचार में लड़कियाँ शिक्षा प्राप्त करके समानता व स्वतंत्रता की मांग करती है जो स्त्री चरित्र हीनता का सूचक होती है, ग्रामीण क्षेत्रों में इस प्रकार की समस्या और भी अधिक उग्र प्रतीत होती है ।

भारत में महिलाओं की क्या भूमिका है?

महिलाएं परिवार बनाती है, परिवार घर बनाता है, घर समाज बनाता है और समाज ही देश बनाता है। इसका सीधा सीधा अर्थ यही है की महिला का योगदान हर जगह है। महिला की क्षमता को नज़रअंदाज करके समाज की कल्पना करना व्यर्थ है। शिक्षा और महिला ससक्तिकरण के बिना परिवार, समाज और देश का विकास नहीं हो सकता।

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