भारतीय कृषि की क्या विशेषताएं हैं तथा भारतीय अर्थव्यवस्था में इसका क्या महत्व है? - bhaarateey krshi kee kya visheshataen hain tatha bhaarateey arthavyavastha mein isaka kya mahatv hai?

भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्व | भारतीय कृषि की प्रमुख विशेषताएँ

  • भारतीय अर्थ-व्यवस्था में कृषि का महत्व-
    • (1) रोजगार का मुख्य साधन (Main Source of Employment)-
    • (2) राष्ट्रीय आय में महत्वपूर्ण योगदान (Important Contribution in Natural Income)-
    • (3) उद्योगों को कच्चा माल (Raw Materials to Industries)-
    • (4) खाद्यान्न की पूर्ति (Supply of Food grains ) –
    • (5) विदेशी व्यापार में महत्व (Important in Foreign Trade)-
    • (6) आन्तरिक व्यापार व परिवहन का मुख्य आधार (Main Support of Internal Trade and Transport)
    • (7) राजस्व महत्वपूर्ण योगदान (Important Contribution to Public Finance)-
    • (8) पशुओं के चारे की पूर्ति (Supply of Foodery)-
    • (9) आर्थिक विकास के लिए कृषि का महत्व (Importance of Agricultural for Economic Development)-
    • (10) सर्वाधिक भूमि का उपयोग (Maximum Utilization of Land)-
  • भारतीय कृषि की प्रमुख विशेषताएँ
    • (1) जीविकोपार्जन का मुख्य साधन (Main Means of Livelihood)-
    • (2) मानसून पर निर्भरता (Dependence on Monsoon)-
    • (3) आर्थिक जोतों का बाहुल्य (Multiplicity of Uneconomic Holdings)-
    • (4) परम्परागत उत्पादन तकनीक Traditional Production Technique)-
    • (5) खाद्यान्न फसलों की प्रमुखता-
    • (6) भूमि का असमान वितरण-
    • (7) कृषि की उत्पादकता में मन्द वृद्धि-
      • अर्थशास्त्र – महत्वपूर्ण लिंक

भारतीय अर्थ-व्यवस्था में कृषि का महत्व-

भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्व सर्वविदित है,क्योंकि प्राचीन काल से भारतवासियों का प्रमुख व्यवसाय कृषि ही रहा है जिससे जुड़कर भारतवासी दो वक्त की रोटी ही ग्रहण नहीं करते हैं बल्कि औद्योगिक प्रगति हेतु कच्चा माल, विदेशी व्यापार, विदेशी मुद्रा अर्जन, सामाजिक स्थायित्व व राजनीतिक गतिविधियों का मूल स्रोत कृषि ही है। अतः कृषि को भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं है।

(1) रोजगार का मुख्य साधन (Main Source of Employment)-

भारतीय कृषि का सर्वाधिक महत्व रोजगार की दृष्टि से माना जाता है। क्योंकि देश की 67% जनसंख्या कृषि कार्य में प्रत्यक्ष रूप में संलग्न है। यदि कृषि क्षेत्र में रोजगार युक्त लोगों का विभाजन करें तो ज्ञात होता है कि कृषक, कृषि श्रमिक, दैनिक श्रमिक, परिवहन में संलग्न लोग आदि बड़ी मात्रा में कृषि से रोजगार प्राप्त कर रहे हैं।

(2) राष्ट्रीय आय में महत्वपूर्ण योगदान (Important Contribution in Natural Income)-

भारतीय कृषि का राष्ट्रीय आय में अत्यन्त महत्वपूर्ण योगदान है। क्योंकि देश की लगभग 1/3 भाग से अधिक राष्ट्रीय आय खेती के द्वारा ही प्राप्त होती है। केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन (A 50) के परम्परागत अनुमान के अनुसार राष्ट्रीय आय में कृषि का भाग लगभग 38 प्रतिशत है।जबकि प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भारतीय राष्ट्रीय आय में कृषि का योगदान 2/3 भाग था।

(3) उद्योगों को कच्चा माल (Raw Materials to Industries)-

औद्योगिक स्थापना एवं विकास के क्षेत्र में कृषि का अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान है। क्योंकि कृषि क्षेत्र से औद्योगिक जगत को कच्चा माल प्राप्त होता है। यदि कृषि से उत्पन्न कच्चे माल का अभाव हो जाता है तो ऐसे उद्योग बन्द होने की कगार पर खड़े हो जाते हैं। इन उद्योगों में प्रमुख रूप से उपभोक्ता सम्बन्धी उपक्रम जैसे- सूती कपड़ा उद्योग के लिए कपास, चीनी उद्योग के लिए गन्ना, वनस्पति या घी उद्योग के लिये देशी वनस्पति, जूट उद्योग के लिए जूट या पटसन, चाय उद्योग के लिये चाय बागान, रबड़ उद्योग के लिए रबड़ आदि का उत्पादन कृषि पर ही निर्भर है।

(4) खाद्यान्न की पूर्ति (Supply of Food grains ) –

भारतीय कृषि का सर्वोच्च महत्व खाद्यान्न आपूर्ति के कारण माना जा सकता है। क्योंकि देश की विशाल जनसंख्या को खाद्यान्न उत्पादित करके पेट भरने की व्यवस्था हमारी कृषि ही करती है।

(5) विदेशी व्यापार में महत्व (Important in Foreign Trade)-

भारत वर्ष के विदेशी व्यापार में कृषि उत्पादनों का एक महत्वपूर्ण स्थान है। क्योंकि भारती निर्यातों का सर्वेक्षण करने पर पता चलता है कि निर्यातों में सर्वाधिक वस्तुएँ कृषि जगत से ही सम्बन्धित होती हैं। इस प्रकार भारतीय कृषि विदेशी मुद्रा अर्जन का मुख्य स्त्रोत हैं।

(6) आन्तरिक व्यापार व परिवहन का मुख्य आधार (Main Support of Internal Trade and Transport)

कृषि के महत्व का आन्तरिक व्यापार (राष्ट्रीय व्यापार) व परिवहन वस्तुओं को हटा दें तो देश भर की लाखों मण्डी सुनसान हो जायेंगी अतः आन्तरिक व्यापार के रूप में खोद्यान्न, जूट, कपास, तेल, मसाले, तम्बाकू, चाय, गुड़ व अन्य निर्मित सामान हमारे बाजारों व व्यापारियों को स्फूर्ति प्रदान करता है।

(7) राजस्व महत्वपूर्ण योगदान (Important Contribution to Public Finance)-

सरकार के राजस्व में कृषि उत्पादन का महत्वपूर्ण स्थान है। क्योंकि केवल मालगुजारी से राज्य सरकारों को 350 करोड़ रु0 की वार्षिक आय प्राप्त होती है। इसी प्रकार कृषि आय कर से लगभग 70 करोड़ की वार्षिक आय है।

(8) पशुओं के चारे की पूर्ति (Supply of Foodery)-

भारतीय कृषि क्षेत्र में पशुओं का विशेष महत्व है। क्योंकि पशुओं से दूध, गोबर की खाद, कपड़े, मांस, हड्डियाँ आदि प्राप्त होते हैं। इतना ही नहीं, कृषि क्षेत्र में पशुओं को शक्ति के साधन के रूप में प्रयोग किया जाता है।

(9) आर्थिक विकास के लिए कृषि का महत्व (Importance of Agricultural for Economic Development)-

यदि भारतीय कृषि का आर्थिक विकास के क्षेत्र में महत्व का अवलोकन करें तो ज्ञात होता है कि आर्थिक विकास का मूल आधार कृषि ही है क्योंकि कृषि पर आश्रित उद्योग, व्यापार, परिवहन एवं अन्य विकास हैं।

(10) सर्वाधिक भूमि का उपयोग (Maximum Utilization of Land)-

भारतवर्ष की भूमि का कुल क्षेत्रफल 32,77,782 वर्ग किलोमीटर है जिसमें 10.7% पर्वत, 18.6% पहाड़ियाँ, 27.7% पठारी व शेष 47% भाग मैदानी हैं।

भारतीय कृषि की प्रमुख विशेषताएँ

भारतीय कृषि के महत्वपूर्ण तथ्यों का मूल्यांकन करने के पश्चात् इसकी कतिपय विशिष्टताओं का अध्ययन करना आवश्यक प्रतीत होता है। अतः भारतीय कृषि की प्रमुख विशेषताएं जिसमें गुण व अवगुण दोनों का समावेश है, निम्न प्रकार हैं-

(1) जीविकोपार्जन का मुख्य साधन (Main Means of Livelihood)-

भारतीय कृषि की प्रमुख विशेषता यह है कि यह जीविका का मुख्य साधन है क्योंकि देश की लगभग 67% जनसंख्या कृषि से जीविकोपा्जेन कर रही है। विश्व में इतनी अधिक जनसंख्या किसी देश में कृषि पर निर्भर नहीं है।

(2) मानसून पर निर्भरता (Dependence on Monsoon)-

भारतीय कृषि की दूसरी विशेषता है कि यह मानसून का जुआ है। प्रो0 एस0के० डे के मतानुसार “हमारे राष्ट्र का प्रमुख व्यवसाय कृषि, जिस पर सम्पूर्ण देश का जीवन निर्भर है, मानसून का जुआ हैं।” अतः यह कह सकते हैं कि भारतीय कृषि पर निर्भर किसान सदैव आसमान की ओर देखता रहता है, जिस वर्ष समय से वर्षा हो जाती है, किसान का हृदय खिल उठता है, लेकिन कभी-कभी खड़ी फसल के समय वर्षा व ओला वृष्टि उसी किसान के होंठ सूखे कर देती है।

(3) आर्थिक जोतों का बाहुल्य (Multiplicity of Uneconomic Holdings)-

“भारतीय कृषि की अत्यन्त समस्याप्रद विशेषता अनार्थिक जोतों की है। क्योंकि देश में जोतों का आकार निरन्तर छोटा होता जा रहा है। यदि आर्थिक जोतों का सर्वेक्षण करें तो विदित होता है किबीजैसे-जैसे जनसंख्या में वृद्धि हो रही है उसका सीधा कुप्रभाव खेती (जीत) पर पड़ रहा है।

(4) परम्परागत उत्पादन तकनीक Traditional Production Technique)-

भारतीय कृषि में नवीन उत्पादन तकनीक पर विशेष जोर दिया जा रहा है, इसके बावजूद भीभारतीय कृषि में अधिकतम कृषक परम्परागत उत्पादन तकनीक ही अपनाय हुए हैं। क्योंकि प्रथम पंचवर्षीय योजना काल के प्रारम्भिक वर्षों में एक कृषि जगत का सर्वेक्षण किया गया जिसमें बताया गया कि देश में 25 प्रकार के कृषि औजार प्रयोग किये जाते हैं जिसमें बेल शक्ति का प्रधान स्रोत है और कृषि औजार में लकड़ी का हल, जुँआ आदि।

(5) खाद्यान्न फसलों की प्रमुखता-

भारतीय कृषि की एक विशेषता यह हे कि यहाँ पर खाद्यान्न उत्पादन को प्रमुखता प्राप्त हुई हैं, क्योंकि कृषक सामान्यतः खाद्यान्न फसलों को उत्पादित करते हैं जबकि व्यावसायिक फसलों का प्रचलन कम है।

(6) भूमि का असमान वितरण-

भारत में कृषि योग्य भूमि का वितरण उसी तरह असमान है जैसे आय का वितरण। क्योंकि कृषि का क्षेत्र आज तक अर्द्ध -सामन्ती है जिसमें भू- स्वामी, सीमान्त कृषक नामक तीन वर्ग हैं। यदि कृषि भूमि पर केवल 12 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों का स्वामित्व था। अतः वर्तमान समय में भी भूमि का असमान वितरण यथावत् है।

(7) कृषि की उत्पादकता में मन्द वृद्धि-

भारतवर्ष की कृषि का यह आश्चर्यजनक तथ्य है कि देशवासियों का प्रमुख व्यवसाय खेती का कार्य करना है फिर भी उत्पादकता कम है। इसमें प्रमुख दोष कृषि श्रमिक की उत्पादन क्षमता का है। क्योंकि भारतीय कृषि श्रमिक का जीवन स्तर अत्यन्त न्यून होने के कारण भरपेट भोजन तक ग्रहण नहीं कर पाता है, पोष्टिक आहार के बारे में सोचना अन्यायपूर्ण है।

अर्थशास्त्र – महत्वपूर्ण लिंक
  • भारतीय जनसंख्या की प्रमुख विशेषताएँ | भारतीय जनसंख्या में जनांकिकीय विशेषताएं
  • जनसंख्या विस्फोट क्या है | जनसंख्या वृद्धि के प्रमुख कारण
  • जनसंख्या एवं आर्थिक विकास के मध्य सम्बन्ध | Relationship between population and economic development in Hindi
  • भारत की जनसंख्या नीति | राष्ट्रीय जनसंख्या नीति | Population policy of India in Hindi | National Population Policy in Hindi
  • भारत में परिवार नियोजन | परिवार नियोजन कार्यक्रम | परिवार नियोजन का संगठन
  • जनसंख्या वृद्धि का आर्थिक विकास पर प्रभाव | जनसंख्या नियन्त्रण सम्बन्धी सुझाव
  • गरीबी से क्या तात्पर्य है | निर्धनता दूर करने हेतु सरकार का प्रयास
  • भारत में निर्धनता के कारण | Causes of Poverty in India in Hindi
  • भारत में निर्धनता | निर्धनता का दुष्चक्र | निर्धनता के दुष्चक्र का विश्लेषण

Disclaimer: sarkariguider.com केवल शिक्षा के उद्देश्य और शिक्षा क्षेत्र के लिए बनाई गयी है। हम सिर्फ Internet पर पहले से उपलब्ध Link और Material provide करते है। यदि किसी भी तरह यह कानून का उल्लंघन करता है या कोई समस्या है तो Please हमे Mail करे- 

भारतीय कृषि की विशेषताएं क्या हैं?

उत्तर-भारतीय कृषि की विशेषताएँ- (1) खाद्यान्न की प्रधानता - देश की कृषि खाद्यान्न प्रधान है क्योंकि विशाल जनसंख्या के लिए भोजन जुटाना मुख्य लक्ष्य है। कुल कृषि उत्पादन में 80% भाग खाद्यान्नों का होता है। (2) फसलों की विविधता - भारत में जलवायु विषमता के कारण कई प्रकार की फसलें ली जाती हैं

भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्व क्या है?

कृषि क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था का आधारभूत स्तंभ है। यह क्षेत्र न केवल भारत की जीडीपी में लगभग 15% का योगदान करता है बल्कि भारत की लगभग आधी जनसंख्या रोज़गार के लिये कृषि क्षेत्र पर ही निर्भर है। यह क्षेत्र द्वितीयक उद्योगों के लिये प्राथमिक उत्पाद भी उपलब्ध करवाता है।

भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का क्या महत्व है Class 10?

कृषि के माध्यम से खाद्यान्न तो उपलब्ध होता ही है, साथ ही अनेक प्रमुख उद्योगों के लिए कच्चा माल भी उपलब्ध होता है (सूती वस्त्र उद्योग, जूट उद्योग, चीनी उद्योग, चाय उद्योग, सिगरेट उद्योग और तम्बाकू उद्योग, आदि)। कृषि राष्ट्रीय आय का एक प्रधान स्रोत है।

भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रमुख विशेषताएं क्या है?

भारतीय अर्थव्यवस्था की एक प्रमुख विशेषता निर्बल आर्थिक संगठन है। इसमें बचत सुविधाओं का कम होना, ग्रामों में जमींदारों और साहूकारों का कार्य करना, विनियोग क्षेत्र की पूरी जानकारी न होना तथा विभिन्न क्षेत्रों के लिए उचित दर पर और उचित मात्रा में वित्त प्रदान करने वाली संस्थाओं की कम संख्या का होना सम्मिलित है।

Toplist

नवीनतम लेख

टैग