भारत सरकार ने जन्म मृत्यु के रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता कब लागू की? - bhaarat sarakaar ne janm mrtyu ke rajistreshan kee anivaaryata kab laagoo kee?

जन्‍म और मृत्‍यु का पंजीकरण Births and Deaths Act, 1969 के तहत अनिवार्य होता है. भारत में इस एक्‍ट के तहत बने नियमों के तहत हर जन्‍म और मृत्‍यु के रजिस्‍ट्रेशन के लिए राज्‍य या संघ शासित प्रदेश की सरकार को 21 दिन के अंदर बताना होता है.

किसी के भी जन्‍म और मृत्‍यु का पंजीकरण अनिवार्य होता है.

जन्‍म प्रमाण पत्र, किसी भी इंसान के जन्म लेने के बाद का सबसे पहला और महत्‍वपूर्ण डॉक्‍यूमेंट है. इसी तरह से मृत्‍यु प्रमाण पत्र किसी के निधन के बाद आखिरी महत्‍वपूर्ण डॉक्‍यूमेंट है. क्‍या कभी आपने सोचा है कि इन दोनों सर्टिफिकेट्स की जरूरत क्‍यों होती है और किस वजह से सरकार की तरफ से इसके लिए नियम बनाए गए. जानिए इससे जुड़ी हर बात.

साल 1969 में आया कानून

जन्‍म और मृत्‍यु का पंजीकरण Births and Deaths Act, 1969 के तहत अनिवार्य होता है. भारत में इस एक्‍ट के तहत बने नियमों के तहत हर जन्‍म और मृत्‍यु के रजिस्‍ट्रेशन के लिए राज्‍य या संघ शासित प्रदेश की सरकार को 21 दिन के अंदर बताना होता है. सरकार की तरफ से रजिस्‍ट्रेशन के लिए एक पूरा सिस्‍टम बनाया हुआ है. केंद्र और राज्‍य में स्थित चीफ रजिस्‍टार्स और रजिस्‍टार जनरल के पास इसका रजिस्‍ट्रेशन होता है. गांवों और कस्‍बों में डिस्‍ट्रीक्‍ट रजिस्‍टार के पास इस काम को अंजाम दिया जाता है.

क्‍यों जरूरी है जन्‍म का पंजीकरण

  • बर्थ रजिस्‍ट्रेशन के बाद स्‍कूलों में एडमिशन मिलता है.
  • वोटिंग का अधिकार मिलता है.
  • ड्राइविंग लाइसेंस और पासपोर्ट के लिए इसकी जरूरत होती है.
  • रोजगार या नौकरी के लिए बर्थ सर्टिफिकेट की जरूरत होती है.
  • विदेश जाने के लिए जरूरी वीजा में भी जरूरी.
  • शादी के अधिकार के लिए भी इस प्रमाण पत्र जरूरी होता है.

क्‍यों जरूरी है मृत्‍यु का रजिस्‍ट्रेशन

  • मृत्‍यु का समय और तारीख निर्धारित करने के लिए.
  • मृत्‍यु का तथ्‍य तय करने ताकि मृतक को सामाजिक, कानूनी और आधिकारिक बाध्‍यताओं से मुक्‍त किया जा सके.
  • संपत्ति पर दावा करने के लिए इस प्रमाण पत्र की जरूरत होती है.
  • पुश्‍तैनी संपत्ति का निबटारा और परिवार को मिलने वाले इंश्‍योरेंस, पेंशन जैसे फायदों के लिए इस प्रमाणपत्र की आवश्‍यकता होती है.
  • कौन सी एजेंसी के पास है जिम्‍मेदारी

अगर जन्‍म और मृत्‍यु किसी सरकारी या प्राइवेट हॉस्पिटल, नर्सिंग होम या मेडिकल संस्‍थान में हुआ है तो ऐसे जन्‍म और मृत्‍यु की जानकारी संस्‍था की तरफ से संबधित रजिस्‍टार को 21 दिनों के अंदर देनी होती है.

21 दिनों के अंदर देनी होती है जानकारी

अगर जन्‍म और मृत्‍यु घर पर हुए हैं तो परिवार के मुखिया या फिर किसी और पारिवारिक सदस्‍य को इसकी जानकारी सब-रजिस्‍टार्स को 21 दिनों के अंदर देनी होती है. सभी जन्‍म और मृत्‍यु की जानकारी हर हाल में 21 दिनों के अंदर देनी होती है. जहां पर ये घटनाक्रम हुए हैं उन्‍हीं जगहों पर इसका रजिस्‍ट्रेशन होता है.

किन बातों का रखें ध्‍यान

जन्‍म या मृत्‍यु का प्रमाणपत्र हासिल करने के लिए आपको एक सादे कागज पर एक एप्‍लीकेशन रजिस्‍ट्रेशन के लिए संबधित रजिस्‍टार/सब रजिस्‍टार के पास जमा करनी होती है. इसके लिए आपको इन बातों का ध्‍यान रखना होता है:

जन्‍म या मृत्‍यु की तारीख स्‍त्री या पुरुष इसकी जानकारी जन्‍म या मृत्‍यु की जगह पिता का नाम माता का नाम हॉस्पिटल/नर्सिंग होम/मेडिकल इंस्‍टीट्यूशंस की जानकारी घर का पूरा पता

क्‍या करें अगर हो गए हैं लेट

चीफ रजिस्‍टार के ऑफिस की तरफ से कोई भी बर्थ या डेथ सर्टिफिकेट जारी नहीं किया जाता है. बल्कि उसकी तरफ से इंग्लिश में अनुवादित जन्‍म और मृत्‍यु सर्टिफिकेट की प्रमाणित कॉपी जारी की जाती है.

अगर 21 दिनों के अंदर रजिस्‍ट्रेशन नहीं हो पाता है तो फिर सर्टिफिकेट को लेट रजिस्‍ट्रेशन वाली कैटेगरी में रखा जाता है. लेकिन 30 दिनों के अंदर 2 रुपए की लेट फीस अदा करके आप रजिस्‍ट्रेशन करा सकते हैं. एक साल की देर होने पर लेट फीस 5 रुपए हो जाती है.

भारत सरकार द्वारा जन्म मृत्यु का अनिवार्य पंजीकरण कब घोषित किया गया था?

भारत में, इसकी प्राप्ति के 21 दिनों के भीतर हर जीवित जन्म / स्थिर जन्म के पंजीकरण के लिए कानून के तहत अनिवार्य (जन्म और मृत्यु अधिनियम, 1969 के अनुसार) अनिवार्य है।

भारत में मृत्यु के बाद कितने दिनों के अंदर रजिस्ट्रेशन करना आवश्यक है?

जन्‍म या मृत्‍यु की सूचना निर्धारित अवधि 21 दिवस पश्‍चात् परन्‍तु 30 दिवस के अन्‍दर देने पर दो रूपये विलम्‍ब शुल्‍क जमा करवाकर जन्‍म-मृत्‍यु प्रमाण पत्र प्राप्‍त किया जा सकता है व जन्‍म या मृत्‍यु की सूचना 30 दिवस से अधिक परन्‍तु 1 वर्ष के भीतर स्‍थानीय पंजीयक को देने पर आवेदक द्वारा निर्धारित प्रारूप में नोटरी पब्लिक ...

भारत में मृत्यु के बाद कितने दिनों में मृत्यु दर्ज की जानी चाहिए?

परिवार द्वारा रीति-रिवाज और धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं, घर में होने वाली मृत्यु की सूचना परिवार के मुखिया द्वारा होने के 21 दिनों के भीतर दी जानी चाहिए

मृत्यु प्रमाण पत्र कैसे बनवाएं MP?

नागरिक सीधे अपने क्षेत्र के निगम / पालिका / पंचायत कार्यालय मे लिखित आवेदन देकर साथ ही आवश्यक दस्तावेज लगाकर मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकता है. इसके लिए कार्यालय के जन्म मृत्यु सेक्शन से संपर्क करे। आवश्यक दस्तावेज लगाकर मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त कर सकता है।

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