बिहार की संस्कृति किसी छेत्र विशेष की विशिष्टता को प्रकट करती है।संस्कृति का निरुपण बौद्धिक विरासत,कला,मेले, उत्सव,रहन-सहन आदि से होता है। बिहार की संस्कृति प्राचीन काल से ही बहुआयामी और समृद्ध रही है। भोजपुरी, मैथिली, मगही, तिरहुत तथा अंग संस्कृतियों का मिश्रण है। नगरों तथा गाँवों की संस्कृति में अधिक फर्क नहीं है। नगरों में भी लोग पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन करते है तथा उनकी मान्यताएँ रुढिवादी है। बिहारी समाज पुरूष प्रधान है और यहां के बच्चे अपने माता पिता के श्रवणकुमार हैं। हिंदू और मुस्लिम यद्यपि आपसी सहिष्णुता का परिचय देते हैं लेकिन कई अवसरों पर यह तनाव का रूप ले लेता है। दोनों समुदायों में विवाह को छोड़कर सामाजिक एवं पारिवारिक मूल्य लगभग समान है। जैन एवं बौद्ध धर्मों की जन्मस्थली होने के बावजूद यहाँ दोनों धर्मों के अनुयाईयों की संख्या कम है। पटना सहित अन्य शहरों में सिक्ख धर्मावलंबी अच्छी संख्या में हैं।
पर्व-त्योहार[संपादित करें]
प्रमुख पर्वों में छठ, होली, दिवाली, दशहरा, रामनवमी ,महाशिवरात्रि, नागपंचमी, श्री पंचमी (वसन्त पञ्चमी, सरस्वती पूजा) , मुहर्रम, ईद तथा क्रिसमस हैं। सिक्खों के दसवें गुरु गोविन्द सिंह जी का जन्म स्थान होने के कारण पटना में उनकी जयन्ती पर भी भारी श्रद्धार्पण देखने को मिलता है।
शादी-विवाह[संपादित करें]
शादी विवाह के दौरान ही प्रदेश की सांस्कृतिक प्रचुरता स्पष्ट होती है। जातिगत आग्रह के कारण शत-प्रतिशत शादियाँ माता-पिता या रिश्तेदारों द्वारा तय परिवार में ही होता है। शादी में बारात तथा जश्न की सीमा समुदाय तथा उनकी आर्थिक स्थिति पर निर्भर करती है। लगभग सभी जातियों में दहेज़ का चलन महामारी के रूप में है। दहेज के लिए विवाह का टूटना या बहू की प्रताड़्ना समाचार की सुर्खियाँ बनती है। कई जातियों में विवाह के दौरान शराब और नाच का प्रचलन खूब दिखता है। लोकगीतों के गायन का प्रचलन लगभग सभी समुदाय में हैं। आधुनिक तथा पुराने फिल्म संगीत भी इन समारोहों में सुनाई देते हैं। शादी के दौरान शहनाई का बजना आम बात है। इस वाद्ययंत्र को लोकप्रिय बनाने में बिस्मिल्ला खान का नाम सर्वोपरि है, उनका जन्म बिहार में ही हुआ था।
खानपान[संपादित करें]
बिहार अपने खानपान की विविधता के लिए प्रसिद्ध है। शाकाहारी तथा मांसाहारी दोनो व्यंजन पसंद किये जाते हैं। मिठाईयों की विभिन्न किस्मों के अतिरिक्त अनरसा की गोली, खाजा, मोतीचूर का लड्डू, तिलकुट यहाँ की खास पसंद है। सत्तू, चूड़ा-दही और लिट्टी-चोखा जैसे स्थानीय व्यंजन तो यहाँ के लोगों की कमजोरी है। लहसुन की चटनी भी बहुत पसंद करते हैं। लालू प्रसाद के रेल मंत्री बनने के बाद तो लिट्टी-चोखा भारतीय रेल के महत्वपूर्ण स्टेशनों पर भी मिलने लगा है। सुबह के नाश्ते में चूड़ा-दही या पूड़ी-जलेबी खूब खाये जाते है। दिन में चावल-दाल-सब्जी और रात में रोटी-सब्जी सामान्य भोजन है।
जातिवाद[संपादित करें]
जातिवाद बिहार की राजनीति तथा आमजीवन का अभिन्न अंग रहा है। वर्तमान में काफी हद तक यह भेदभाव कम हो गया है फिर भी चुनाव के समय जातीय समीकरण एवं जोड़-तोड़ हर जगह दिखाई पड़ता है। पिछले कुछ वर्षों में इसका विराट रूप सामने आया था। इस जातिवाद के दौर की एक ख़ास देन है - अपना उपनाम बदलना। जातिवाद के दौर में कई लोगों ने जाति स्पष्ट न हो इसके लिए अपने तथा बच्चों के उपनाम बदल कर एक संस्कृत नाम रखना आरंभ कर दिया। इसके फलस्वरूप कई लोगों का वास्तविक उपनाम यादव, शर्मा, मिश्र, वर्मा, झा, सिन्हा, श्रीवास्तव, राय इत्यादि से बदलकर प्रकाश, सुमन, प्रभाकर, रंजन, भारती इत्यादि हो गया। जातिसूचक उपनाम के बदले कई लोग 'कुमार' लिखना पसंद करते हैं।
खेलकूद एवं मनोरंजन[संपादित करें]
भारत के कई जगहों की तरह
क्रिकेट यहाँ भी सर्वाधिक लोकप्रिय है। इसके अलावा फुटबॉल, हाकी,
टेनिस और गोल्फ भी पसन्द किया जाता है। बिहार का अधिकांश हिस्सा ग्रामीण होने के कारण पारंपरिक भारतीय खेल जैसे कबड्डी, गिल्ली डंडा, गुल्ली
(कंचे) बहुत लोकप्रिय हैं।
बिहार के शहर, कस्बों तथा गाँवों में फिल्मों की लोकप्रियता बहुत अधिक है। हिंदी फिल्मों के संगीत बहुत पसन्द किये जाते हैं। मुख्य धारा की हिन्दी फिल्मों के अलावा भोजपुरी फिल्मों ने भी अपना प्रभुत्व जमाया है। मैथिली तथा अन्य स्थानीय सिनेमा भी लोकप्रिय हैं। अंग्रेजी फिल्म
पटना जैसे नगरों में ही देखा जाता है। उच्चस्तरीय पसंद वाले लोग नृत्य, नाटकीय मंचन या चित्रकला में अपना योगदान देना पसंद करते हैं वहीं अशिक्षित या अर्धशिक्षित लोग ताश या जुए खेलकर अपना समय काटते हैं।
सन्दर्भ[संपादित करें]
बिहार क संस्कृति भोजपुरी, मैथिली, मगही तथा अंग संस्कृति क मिश्रण कहा सकेला। एइजा नगर तथा गाँव की संस्कृति में ढेर अंतर नाहीं बा। नगरो में भी लोग पारंपरिक रीति-रिवाज क पालन करेला तथा लोगन क मान्यता रुढिवादी बा। हिंदू आ मुस्लिम लोग आपसी सहिष्णुता क परिचय देला लो लेकिन कई अवसर पर इ तनावो क रुप ले लेला। दुनुं समुदाय में विवाह के छोड़ दिहल जा त सामाजिक एवं पारिवारिक मूल्य लगभग समान बा। जैन एवं बौद्ध धर्म क जन्मस्थली होखले की बावजूद एईजा दुनुं धर्म की अनुयाईयन क संख्या कम बा। पटना सहित अन्य शहरन में सिक्ख धर्मावलंबी अच्छा संख्या में बालो।.[1]
पर्व-त्योहार[संपादन करीं]
प्रमुख पर्व में छठ, होली, दिवाली, दशहरा, महाशिवरात्रि, नागपंचमी, मुहर्रम, ईद तथा क्रिसमस एइजा मनावल जाला। सिक्ख लोगन की दसवां गुरु गोबिन्द सिंह जी क जन्म स्थली होखले की कारण पटना में उनकी जयन्ती प भारी श्रद्धार्पण देखे के मिलेला।
शादी-ब्याह तथा गीत संगीत[संपादन करीं]
शादी विवाह की दौरान प्रदेश क सांस्कृतिक प्रचुरता स्पष्ट हो जाला। जातिगत आग्रह की चलते शत-प्रतिशत शादी माता-पिता चाहें रिश्तेदारन द्वारा तय परिवार में ही होला। शादी में बारात तथा जश्न क सीमा समुदाय तथा ओकर आर्थिक स्थिति पर निर्भर करेला। लगभग सब जाति में एइजा दहेज़ का चलन महामारी के रुप में लउकेला। कई जातिन में विवाह की दौरान शराब और नाच क प्रचलन खूब देखे के मिलेला।
लोकगीत गइले क प्रचलन लगभग सब समुदाय में बा। लोक संगीत कईगो पारिवारिक समारोह जइसे की शादी-ब्याह, जन्मदिन वगैरह में गावल जाला। आधुनिक तथा पुराना फिल्म संगीतो ए कुल समारोह में सुनाई देला। शादी की दौरान एइजा शहनाई बाजल आम बात ह। ए वाद्ययंत्र के लोकप्रिय बनवले में बिस्मिल्ला खान का नांव सर्वोपरि बा, उन क जन्म बिहारे में भइल रहे।[2]
खानपान[संपादन करीं]
बिहार अपनी खानपान की विविधता खातिर प्रसिद्ध बा। शाकाहारी तथा मांसाहारी दुनु व्यंजन एइजा की लोगन क पसंद ह। मिठाईयन की विभिन्न किस्म की अलावा अनरसा क गोली, खाजा, मोतीचूर का लड्डू, तिलकुट एईजा क खास पसंद ह। सत्तू, चूड़ा-दही और लिट्टी-चोखा जइसन स्थानीय व्यंजन त एइजा की लोगन क कमजोरी ह। सबेरे नाश्ता में चुडा-दही चाहें पुड़ी-जिलेबी खूब खाईल जाला एइजा। दिन में चावल-दाल-सब्जी फेर रात में रोटी-सब्जी सामान्य भोजन ह।
जातिवाद[संपादन करीं]
जातिवाद बिहार की राजनीति तथा आमजीवन क अभिन्न अंग रहल बा। वर्तमान में त काफी हद ले इ भेदभाव कम हो गइल बा फेर भी चुनाव की समय में जातीय समीकरण एवं जोड़-तोड़ हर जगह लउकेला।
खेलकूद एवं मनोरंजन[संपादन करीं]
भारत के कई और जगहन की नियर क्रिकेट एहुजा क सर्वाधिक लोकप्रिय खेल ह। एकरी अलावा फुटबॉल, हाकी, टेनिस और गोल्फ भी पसन्द कइल जाला। बिहार का अधिकांश हिस्सा ग्रामीण होखले की कारण पारंपरिक भारतीय खेल जइसे कबड्डी, गिल्ली डंडा, गुल्ली (कंचे) बहुत लोकप्रिय बान स।
बिहार की शहर, कस्बा तथा गाँव में फिल्मन क लोकप्रियता बहुत अधिक बा। मुख्य धारा क हिंदी फिल्मन की अलावा भोजपुरीओ फिल्म आपन धाक जमवले बाड़ी स। मैथिली तथा अन्य स्थानीय सिनेमा भी लोकप्रिय बा। उच्चस्तरीय पसंद वाला लोग नृत्य, नाटकीय मंचन चाहें चित्रकला में आपन योगदान दिहल पसंद करेला लो, वहीं अशिक्षित चाहें अर्धशिक्षित लोग ताश या जुआ खेलके आपन समय काटेला लो।
संदर्भ[संपादन करीं]
- ↑ "Culture of Bihar". I Love India=2014-10-28.
- ↑ "Bhojpuria Gaana - भोजपुरिया गाना". YouTube. Retrieved 10 October 2014.