भगत प्रतिवर्ष गंगा स्नान जाया करते थे इस स्नान का उद्देश्य क्या था *? - bhagat prativarsh ganga snaan jaaya karate the is snaan ka uddeshy kya tha *?

बालगोबिन भगत (अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)

प्रश्न 1.

बेटे के देहांत के बाद बालगोबिन भगत ने पतोहू को किस बात के लिए बाध्य किया? उनका यह व्यवहार उनके किस प्रकार के विचार का प्रमाण है।।           2016

उत्तर:

अपने इकलौते लड़के के देहांत के बाद बालगोबिन भगत पतोहू को रोने के बदले उत्सव मनाने को कहा। उनका विचार था कि उनके बेटे की आत्मा परमात्मा के पास चली गई है, विरहिनी अपने प्रेमी से जा मिली है। अब इससे बढ़कर और अधिक आनंद की क्या बात हो सकती है? इसके आलावा, अपने प्रगतिशील मत के अनुसार वे विधवा पुनर्विवाह का समर्थन करते थे। उन्होंने अपनी पतोहू को दूसरी शादी के लिए बाध्य करने की खातिर ही उसके भाई को बुलाकर उसके साथ कर दिया। अपनी पतोहू के पुनर्विवाह संबंधी भगत का यह निर्णय अटल था क्योंकि उनका विचार था कि अभी उसकी उम्र संसार देखने एवं उसका आनंद लेने की है। यहाँ रहकर विधवा का जीवन जीते हुए उनकी सेवा करने की नहीं है। उनका यह व्यवहार उनके प्रगतिशील विचार का प्रमाण है।

प्रश्न 2.

‘मोह और प्रेम में अंतर होता है।' बालगोबिन भगत के जीवन की किस घटना के आधार पर आप इस कथन को कैसे सच सिद्ध करेंगे?

उत्तर:

मोह और प्रेम में अंतर होता है। 'मोह' में पड़कर व्यक्ति स्वार्थी बन जाता है जबकि 'प्रेम' में पवित्रता एवं सात्विकता का तत्व विद्यमान रहता है। प्रेम में स्वार्थ नहीं ‘हित चिंतन' का तत्व मुख्य रहता है। बालगोविन भगत के जीवन की निम्न घटना के आधार पर इस कथन को पुष्ट किया जा सकता है- भगत जी के एकमात्र पुत्र की मृत्यु हो गई थी। वह उसकी मृत्यु पर मोह में पड़फर शोकाकुल नहीं थे अपितु 'उनका पुत्र सांसरिक बंधनों से मुक्त हो गया' ऐसा मानकर गीत गा रहे थे। वह इस आत्मा एवं परमात्मा के मिलन का अवसर मान रहे थे। उन्होंने विलाप करती हुई अपनी पुत्रवधू को भी यह बात समझाई। इस अवसर पर उन्होंने मोह से मुक्त मन से पुत्रवधू के भाई को उसका दूसरा विवाह कराने का निर्देश दिया। वे स्वयं बूढ़े हो गए थे। बुढ़ापे का उनका कोई भी सहारा नहीं था। यदि वे अपनी पुत्रवधू को अपने सुख के लिए अपने पास रख लेते, तो यह उनका मोह होता। पुत्रवधू के भविष्य पर विचार करना उनके मन में प्रेम की भावना को दर्शाता है।

प्रश्न 3,

बालगोबिन भगत की पुत्रवधू की ऐसी कौन-सी इच्छा थी जिसे वे पूरा न कर सके? कारण स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:

बालगोबिन भगत के एकमात्र पुत्र की मृत्यु हो गई थी। उनकी पुत्रवधू की यह इच्छा थी कि वह अपना शेष जीवन भगत जी की सेवा में बिताए। वह उन्हें अकेला छोड़ना नहीं चाहती थी। उसे लगता था कि बढ़ापे में कौन भगत के खाने-पीने का ध्यान रखेगा? बीमारी में कौन सहायता करेगा? लेकिन उसकी इस इच्छा को बालगोबिन भगत ने पूरा नहीं किया और बेटे के क्रिया-कर्म के उपरांत उसके भाई को यह आदेश दिया कि वह शीघ्र ही उसका पुनर्विवाह कर दे।

प्रश्न 4.

‘बालगोबिन भगत' पाठ के आधार पर बताइए कि बालगोबिन भगत की कबीर पर श्रद्धा किन-किन रुपों में प्रकट हुई है?        2012

उत्तर:

बालगोबिन भगत की कबीर पर अगाध श्रद्धा थी। वे कबीर को अपना साहब मानते थे। उनके प्रति भगत जी की श्रद्धा निम्न रूपों में प्रकट हुई-

• भगत जी अपने सिर पर कबीर पंथी टोपी पहनते थे, जो कनपटी तक जाती थी।

• उनकी दी हुई शिक्षाओं का पालन करते थे।

• वे उन्हीं के बताए आदर्शों पर चलते थे।

• कबीर के पद उनके संगीत का आधार थे।

• उनके खेत में जो फ़सल होती थी, उसे सिर पर लादकर कबीर के दरबार (मठ) में ले जाते थे और वहीं प्रसाद रूप में जो कुछ मिलता था, उसी से अपना गुजारा करते थे।

• भगत जी कबीर की ही भाँति रूढ़ियों का खंडन करते थे। वह कबीर की भाँति परमात्मा में विश्वास रखते थे। इसलिए कबीर के विचारों पर उनकी अगाध श्रद्धा थी।

प्रश्न 5.

बालगोबिन भगत प्रतिवर्ष गंगा-स्नान करने क्यों जाते थे? पाठ के आधार पर लिखिए।

उत्तर:

बालगोबिन भगत प्रतिवर्ष गंगा-स्नान के लिए जाते थे। गंगा-स्नान के लिए जाने के पीछे स्नान करना उनका मुख्य उद्देश्य या आधार नहीं था । वास्तव में वे ऐसे अवसर पर संतों का सम्पर्क पाना चाहते थे। संत-समागम और लोकदर्शन इस स्नान का मुख्य केंद्र था। संतों के साथ मिलकर सत्संग करना एवं लोगों से मिलने की प्रबल इच्छा उनमें सदैव विद्यमान रहती थी। पैदल चलते हुए, खजड़ी बजाते हुए, गाते हुए वह निरंतर आगे बढ़ते जाते थे।

प्रश्न 6,

बालगोबिन भगत की मृत्यु के विषय में क्या मान्यता थी?

उत्तर:

बालगोबिन भगत की मृत्यु के विषय में सबसे भिन्न मान्यता थी। उनके अनुसार मौत दुख का कारण न होकर उत्सव का दिन है। यह विरहिनी का अपने प्रिय से मिलन का दिन है। उनके अनुसार मृत्यु वह है जब शरीर को छोड़कर आत्मा परमात्मा से मिलती है। इसलिए इस दिन किसी भी प्रकार का शोक नहीं मनाना चाहिए।

प्रश्न 7,

बालगोबिन भगत किस संत के अनुयायी थे? उन पर उनका कितना प्रभाव था?

उत्तर:

बालगोबिन भगत संत कबीरदास के अनुयायी थे। कबीरदास पर उनकी अगाध श्रद्धा थी। वे कबीर को अपना साहब मानते थे और उन्हीं की दी गई शिक्षाओं का पालन करते थे। उनका सब कुछ साहब का था। खेत में जो फ़सल होती थी, वे कबीर के दरबार में ले जाते और वहाँ प्रसाद स्वरुप जो कुछ मिलता, उसी में अपना गुजारा चलाते थे। कबीर की ही भाँति वे परमात्मा में विश्वास रखते थे। वास्तव में कबीर के विचारों पर उनकी अगाध श्रद्धा थी।

प्रश्न 8.

बालगोबिन की उन तीन विशेषताओं का उल्लेख कीजिए जिनके कारण उन्हें 'भगत' कहा जाने लगा।

उत्तर:

(i) भगत के मन में दूसरों के प्रति कल्याण की भावना थी।

(ii) ईर्ष्या-द्वेष, लोभ, लालच, स्वार्थ उनमें लेश मात्र भी न थे।

(iii) बाह्य आडंबरों व पाखंडों के विरोधी भगत जी सीधा-सादा जीवन व्यतीत करते थे।

उपर्युक्त विशेषताओं के कारण उन्हें 'भगत' कहा जाने लगा।

प्रश्न 9,

‘बालगोबिन भगत' पाठ में चित्रित भगत गृहस्थ होकर भी हर दृष्टि से साधु थे। क्या साधु की पहचान माला, तिलक तथा गेरुए वस्त्रों से होती है या उसके आचार-विचार से? इस विषय में अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर:

किसी भी साधु की पहचान माला-तिलक तथा गेरुए वस्त्रों से नहीं, अपितु उसके आचार-विचार से होती है। साधु भौतिक वस्तुओं का संचय नहीं करता। अभाव व कष्ट में भी जीवन जीते हुए सुख का अनुभव करता है। परोपकार की भावना उसका जीवन लक्ष्य होता है। भगत गृहस्थ होते हुए भी साधुता की कसौटी पर खरे उतरते थे। वह कृत्रिमता व आडंबरों से कोसों दूर थे। वह त्याग प्रवृत्ति में ही जीवन की सार्थकता मानते थे।

भगत के गंगा स्नान का मुख्य उद्देश्य क्या था?

उत्तरः भगत प्रतिवर्ष गंगा स्नान करने जाते थे। इस स्नान का मुख्य उद्देश्य था- संत समागम और लोक-दर्शन।

भगत जी प्रतिवर्ष गंगास्नान के लिए क्यों जाते थे?

भगत जी प्रतिवर्ष गंगा स्नान के लिए क्यों जाते थे ? संत समागम के लिए जाते थे

बालगोबिन भगत के गंगा स्नान की यात्रा की क्या विशेषताएं थीं?

गंगा उनके गाँव से तीस कोस दूर थी। वहाँ जाने में चार-पाँच दिन लग जाते थे। वे गंगा स्नान जाते समय अपने घर से ही खा कर चलते थे और वापस अपने घर पर ही आकर खाते थे। उनके अनुसार यदि वे साधु हैं तो साधु को कहीं आते-जाते समय खाने की क्या आवश्यकता है और यदि वे गृहस्थी हैं तो गृहस्थी को भिक्षा मांगकर खाना अच्छा नहीं है।

बालगोबिन भगत गंगा के लिए स्नान कब जाते थे?

Answer: बालगोबिन भगत प्रति वर्ष अपने घर से तीस कोस दूर गंगा स्नान को जाते थे

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