अयोध्या कांड कौन से सन में हुआ था? - ayodhya kaand kaun se san mein hua tha?

  • होम
  • वीडियो
  • सर्च
  • वेब स्टोरीज
  • ई-पेपर

  • होम
  • वीडियो
  • सर्च
  • वेब स्टोरीज
  • ई-पेपर

  • Hindi News
  • Babri Masjid Demolition Ayodhya 1992 In Hindi

अयोध्या कांड: तारीख-दर-तारीख जानिए कब-क्या-कैसे हुआ!

Babri Masjid demolition Ayodhya

लखनऊ. एक बार फिर आज कैलेंडर पर 6 दिसंबर की तारीख है। दो जून की रोटी के लिए जान देने वालों के लिए यह सिर्फ एक आम दिन है। लेकिन वर्ष 1992 में हुई एक घटना ने इस तारीख से जुड़े हर इतिहास को बदल दिया। वह घटना थी इस दिन अयोध्या में विवादित ढांचे का गिराया जाना। इसे हिन्दू राम जन्म भूमि और मुसलमान बाबरी मस्जिद मानते हैं। आज फिर कोई इस दिन को कला दिवस कहेगा तो कोई शौर्य दिवस के रूप में मनाएगा। बाबरी विध्वंस के बाद 21 साल बाद अयोध्या में विवादित ढांचे और जमीन के मालिकाना हक के चार मामलों की सुनवाई करने वाली हाईकोर्ट की विशेष खंडपीठ ने फैसला सुना ही दिया।

अयोध्या बेंच की नाम से गठित तीन जजों की बेंच ने 30 सितम्बर, 2010 को अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया। 10 हजार से अधिक पन्नों के फैसले में जजों ने भी माना कि विवादित परिसर के अंदर भगवान राम की मूर्तियां 22-23 दिसंबर 1949 की रात को अचानक राखी गयीं और यह प्रचार किया गया कि रामलला अवतरित हुए हैं।

अदालत ने यह तथ्य भी सामने रखा कि बाबरी मस्जिद का निर्माण बाबर ने स्वयं उसके आदेश पर उसके सिपहसालार मीर बांकी ने उस जगह पर किया जिसे पहले से ही हिंदू भगवान राम का जन्म स्थल मानते थे। एएसआई की खुदाई में मिले प्राचीन मंदिर के अवशेष को अदालत ने साक्ष्य के रूप में मानते हुए कहा कि इससे लगता है कि मस्जिद का निर्माण मंदिर के स्थान पर हुआ था। हालांकि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाये जाने के बारे में जजों में आपस में मतभेद था।

अदालत ने पूरी विवादित जमीन और सरकार द्वारा अधिग्रहित 70 एकड़ जमीन को तीन हिस्सों में विभाजित करने का आदेश दिया। कोर्ट के आदेश के अनुसार जमीन को तीन हिस्सों में सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला पक्ष को बराबर बांट के उसका हक़ दिया जाना था। लेकिन हाईकोर्ट के इस फैसले को अजीबो-गरीब बताते हुए इस पर रोक लगा दी।

तारीख-दर-तारीख जानिए अयोध्या में कब-क्या-कैसे हुआ...

  • Hindi News
  • Zee Hindustan
  • वीडियो

  • Zee Media Bureau
  • Dec 6, 2021, 01:09 PM IST

6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में सुबह 6 बजे कारसेवकों की भीड़ विवादित ढांचे के पास इकट्ठी हो गई थी. पुलिसकर्मी और पत्रकार भी थे तैनात. संघ के स्वयंसेवक भी मौजूद थे. जानिए उस दिन आखिरी 13 घंटों में क्या हुआ था.

टीम डिजिटल, अमर उजाला, कानपुर Updated Wed, 06 Dec 2017 02:47 PM IST

25 साल बाद भी बाबरी मस्जिद विध्वंस और अयोध्या मंदिर की राजनीति खत्म नहीं हुई। बाबरी मस्जिद उत्तर प्रदेश के फ़ैज़ाबाद ज़िले के अयोध्या शहर में रामकोट पहाड़ी ("राम का किला") पर एक मस्जिद थी। रैली के आयोजकों द्वारा मस्जिद को कोई नुकसान नहीं पहुंचाने देने की भारत के सर्वोच्च न्यायालय से वचनबद्धता के बावजूद, 1992 में 150,000 लोगों की एक हिंसक रैली के दंगा में बदल जाने से यह विध्वस्त हो गयी। मुंबई और दिल्ली सहित कई प्रमुख भारतीय शहरों में इसके फलस्वरूप हुए दंगों में 2,000 से अधिक लोग मारे गये।
आगे जानें इस कांड की पूरी कहानी...

भारत के प्रथम मुग़ल सम्राट बाबर के आदेश पर 1527 में इस मस्जिद का निर्माण किया गया था। पुजारियों से हिन्दू ढांचे या निर्माण को छीनने के बाद मीर बाकी ने इसका नाम बाबरी मस्जिद रखा। 1940 के दशक से पहले, मस्जिद को मस्जिद-ए-जन्म अस्थान कहा जाता था, इस तरह इस स्थान को हिन्दू ईश्वर, राम की जन्मभूमि के रूप में स्वीकार किया जाता रहा है। पुजारियों से हिन्दू ढांचे को छीनने के बाद मीर बाकी ने इसका नाम बाबरी मस्जिद रखा।

बाबरी मस्जिद उत्तर प्रदेश, भारत के इस राज्य में 3 करोड़ 10 लाख मुस्लिम रहा करते हैं, की सबसे बड़ी मस्जिदों में से एक थी। हालांकि आसपास के ज़िलों में और भी अनेक पुरानी मस्जिदें हैं, जिनमे शरीकी राजाओं द्वारा बनायी गयी हज़रत बल मस्जिद भी शामिल है, लेकिन विवादित स्थल के महत्व के कारण बाबरी मस्जिद सबसे बड़ी बन गयी। इसके आकार और प्रसिद्धि के बावजूद, ज़िले के मुस्लिम समुदाय द्वारा मस्जिद का उपयोग कम ही हुआ करता था और अदालतों में हिंदुओं द्वारा अनेक याचिकाओं के परिणामस्वरूप इस स्थल पर राम के हिन्दू भक्तों का प्रवेश होने लगा। बाबरी मस्जिद के इतिहास और इसके स्थान पर तथा किसी पहले के मंदिर को तोड़कर या उसमें बदलाव लाकर इसे बनाया गया है या नहीं, इस पर चल रही राजनीतिक, ऐतिहासिक और सामाजिक-धार्मिक बहस को "अयोध्या विवाद" के नाम से जाना जाता है।
 

आधुनिक समय में इस मसले पर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच हिंसा की पहली घटना 1853 में अवध के नवाब वाजिद अली शाह के शासनकाल के दौरान दर्ज की गयी। निर्मोही नामक एक हिंदू संप्रदाय ने ढांचे पर दावा करते हुए कहा कि जिस स्थल पर मस्जिद खड़ा है वहां एक मंदिर हुआ करता था, जिसे बाबर के शासनकाल के दौरान नष्ट कर दिया गया था। अगले दो वर्षों में इस मुद्दे पर समय-समय पर हिंसा भड़की और नागरिक प्रशासन को हस्तक्षेप करते हुए इस स्थल पर मंदिर का निर्माण करने या पूजा करने की अनुमति देने से इंकार करना पड़ा.
 

फैजाबाद जिला गजट 1905 के अनुसार इस समय (1855) तक, हिंदू और मुसलमान दोनों एक ही इमारत में इबादत या पूजा करते रहे थे। लेकिन विद्रोह (1857) के बाद, मस्जिद के सामने एक बाहरी दीवार डाल दी गयी और हिंदुओं को अदंरुनी प्रांगण में जाने, वेदिका (चबूतरा), जिसे उन लोगों ने बाहरी दीवार पर खड़ा किया था, पर चढ़ावा देने से मना कर दिया गया।

1883 में इस चबूतरे पर मंदिर का निर्माण करने की कोशिश को उपायुक्त द्वारा रोक दिया गया, उन्होंने 19 जनवरी 1885 को इसे निषिद्ध कर दिया। महंत रघुवीर दास ने उप-न्यायाधीश फैजाबाद की अदालत में एक मामला दायर किया। 17 फीट x 21 फीट माप के चबूतरे पर पंडित हरिकिशन एक मंदिर के निर्माण की अनुमति मांग रहे थे, लेकिन मुकदमे को बर्खास्त कर दिया गया। एक अपील फैजाबाद जिला न्यायाधीश, कर्नल जे.ई.ए. चमबिअर की अदालत में दायर किया गया, स्थल का निरीक्षण करने के बाद उन्होंने 17 मार्च 1886 को इस अपील को खारिज कर दिया। एक दूसरी अपील 25 मई 1886 को अवध के न्यायिक आयुक्त डब्ल्यू. यंग की अदालत में दायर की गयी थी, इन्होंने भी इस अपील खारिज कर दिया। इसी के साथ, हिंदुओं द्वारा लड़ी गयी पहले दौर की कानूनी लड़ाई का अंत हो गया।

अयोध्या काण्ड कब हुआ था?

29 साल पहले आज ही के दिन यानी 6 दिसंबर 1992 को कारसेवकों की भीड़ ने बाबरी विध्वंस के विवादित ढांचे को गिराया गया था। छह दिसंबर अयोध्या के इतिहास में एक ऐसी तारीख के रूप में में दर्ज हो गया है, जिसका अलग-अलग समुदायों पर अलग-अलग प्रभाव है।

6 दिसंबर 1993 को निम्न में से कौन सी घटना हुई थी?

नई दिल्लीः 6 दिसंबर 1992 का दिन भारतीय इतिहास में बेहद अहम है. दरअसल इस दिन ही हिंदूवादी संगठनों ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिराया था. यह घटना इतनी अहम साबित हुई कि इसने देश की राजनीति को पूरी तरह से बदलकर रख दिया.

अयोध्या कांड में कितने क्रम है?

ऋंगवेरपुर में निषादराज गुह ने तीनों की बहुत सेवा की। कुछ आनाकानी करने के बाद केवट ने तीनों को गंगा नदी के पार उतारा| प्रयाग पहुँच कर राम ने भरद्वाज मुनि से भेंट की। वहाँ से राम यमुना स्नान करते हुये वाल्मीकि ऋषि के आश्रम पहुँचे। वाल्मीकि से हुई मन्त्रणा के अनुसार राम, सीता और लक्ष्मण चित्रकूट में निवास करने लगे।

रामायण में अयोध्या कांड के बाद कौन सा कांड आता है?

बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि।। जब तें रामु ब्याहि घर आए। नित नव मंगल मोद बधाए।। भुवन चारिदस भूधर भारी।

संबंधित पोस्ट

Toplist

नवीनतम लेख

टैग