अल्ट्रासाउंड में सीआरएल का मतलब क्या होता है? - altraasaund mein seeaarel ka matalab kya hota hai?

फीटल इको टेस्ट अल्ट्रासाउंड या सोनोग्राफी की तरह ही होता है जो कि एक चिकित्सक को विकसित होते भ्रूण के दिल को बेहतर तरीके से देखने में मदद करता है। फीटल इको की मदद से एक चिकित्सक जान पाता है कि भ्रूण के हृदय की संरचना कैसी है और वह ठीक से काम कर पा रहा है या नहीं।

  • यह कैसे किया जाता है?

इस टेस्ट में ध्वनि तरंगों को बच्चे के दिल की ओर केन्द्रित किया जाता है जो अंदरूनी अंगों से टकराकर वापस लौट जाती है। एक मशीन इन लौटती हुई ध्वनि तरंगों का विश्लेषण कर उन्हें कंप्यूटर स्क्रीन पर एक चित्र के रूप में दिखाती है जिसे इकोकार्डियोग्राम कहा जाता है। गर्भ में भ्रूण की उम्र एवं स्थिति के आधार पर इस टेस्ट में अलग-अलग मरीजों के लिए अलग-अलग समय लग सकता है।

  • इसके क्या फायदे हैं?

इस टेस्ट की मदद से चिकित्सक जान पाता है कि हृदय के अन्दर किस तरह से रक्त प्रवाह हो रहा है और हृदय किस तरह से धड़क रहा है। अगर भ्रूण के दिल के वाल्व ठीक से काम नहीं कर रहे हैं तो उसका भी पता चल सकता है। इस टेस्ट का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इससे चिकित्सकों को गर्भ में ही हृदयरोगों का पता चल जाता है जिससे बच्चे के जन्म के बाद ईलाज के लिए वे पहले से ही तैयारी कर सकते हैं।

  • फीटल इको कब किया जाता है?

सामान्यतः यह टेस्ट गर्भधारण के बाद दूसरी तिमाही (विशेषतः 16 से 20 सप्ताह) में किया जाता है, जिस समय तक भ्रूण का हृदय इतना विकसित हो जाता है कि उसे इस टेस्ट में ठीक से देखा जा सके.

हर गर्भवती महिला को यह टेस्ट करवाने की ज़रूरत नहीं होती है।अधिकतर मामलों में एक सामान्य अल्ट्रासाउण्ड / सोनोग्राफी में भी दिल के चारों हिस्सों को देखा जा सकता है। लेकिन जब सामान्य जाँचों के बाद चिकित्सक को लगता है कि भ्रूण को हृदय सम्बंधी कोई बीमारी हो सकती है या उसकी संरचना असामान्य है तो इसे सुनिश्चित करने के लिए फीटल इको किया जाता है।

  • निम्नलिखित कारणों से भी फीटल इको की आवश्यकता पड़ सकती है–

1) बच्चे के माता-पिता या उनके नजदीकी रिश्तेदारों में किसी को हृदयरोग हो।

2) महिला ने इसके पहले भी हृदयरोग से पीड़ित बच्चे को जन्म दिया हो।

3) गर्भवती महिला ने गर्भावस्था के दौरान चिकित्सक की सलाह के बिना कोई दवाई ली हो।

4) गर्भवती महिला ने गर्भावस्था के दौरान मदिरा का सेवन किया हो।

5) गर्भवती महिला को स्वास्थ्य सम्बंधित कोई समस्या हो जैसे-रूबेला, टाइप-1 डायबिटीज, ल्युपस, फिनाइलकीटोन्यूरिया आदि।

  • फीटल इको के लिए क्या तैयारी करनी होती है?

फीटल इको के लिए गर्भवती महिला को किसी विशेष तैयारी की आवश्यकता नहीं होती है, सिर्फ़ इससे पहले की गयी जाँचों की रिपोर्ट्स लानी होती है। चूँकि कभी-कभी इस टेस्ट में कुछ घंटे भी लग सकते हैं इसलिये महिला को अपने साथ किसी परिवारजन को लाने की सलाह भी दी जाती है।

  • इस टेस्ट में क्या जोखिम होते हैं?

फीटल इको करने से पहले मरीज को कोई इंजेक्शन या दवाई लेने की ज़रूरत नहीं होती और इस टेस्ट को सीधे पेट के ऊपर से ही किया जाता है। साथ ही इसमें एक्स-रे या किसी अन्य रेडिएशन का प्रयोग ना करके सिर्फ़ ध्वनि तरंगों का प्रयोग किया जाता है, इसलिए यह माँ एवं बच्चे, दोनों के लिए पूर्णतः सुरक्षित होता है।

आपका पहला ट्राइमेस्टर पूरा होने में केवल 4 हफ्ते बचे हैं। इन हफ्तों के दौरान वाकई आपका समय तेजी से बीत जाएगा। आपके लिए अभी भी किसी ऐसे टॉक्सिं, विषाणुओं या केमिकलों से खुद को बचाना महत्वपूर्ण होगा, जो आपके अंदर विकास कर रहे शिशु को नुकसान पहुँचा सकते हों। आपको छुपकर रहने की जरूरत नहीं है, पर सावधान रहें और स्वस्थ और सेहतमंद रहने पर ध्यान केंद्रित करें।

 खाने की इच्छा:

इस हफ्ते भी आपको उलटी होने का एहसास हो सकता है और आप कुछ खास खाद्य पदार्थ खाने को लेकर अच्छा महसूस नहीं कर सकती हैं। कुछ विशेषज्ञ कहते हैं कि शिशु को संभावित रूप से हानिकारक खाद्य पदार्थों से बचाने का यह एक कुदरती तरीका होता है। यदि आपको कुछ खाने की अधिक इच्छा हो रही हो, तो उसे पूरा करें, इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि वे कितनी अटपटी हैं। एक बार में थोड़ा-थोड़ा खाएं, ताकि आप देख सकें कि आपका शरीर उस खाने के प्रति कैसी प्रतिक्रिया देता है। निश्चित रूप से, अपनी खाने की इच्छाओं पर थोड़ी लगाम लगाना भी जरूरी होगा, खासकर यदि यह काफी तीव्र हो जाएं या आपको चॉक खाने की प्रबल इच्छा जागने लगे।

जब आप 8 हफ्तों की गर्भवती होती हैं, तो आपको व्यायाम के प्रति पहले जैसी सहजता अनुभव नहीं होगी। आप हांफने जैसा या जल्द थकने का अनुभव कर सकती हैं। ऐसे में आपको अपने व्यायाम तरीकों में बदलाव लाने के पर विचार करना होगा, जो कि कम कठोर और कम असर करने वाले हों। रोजाना चलना-फिरना और अपनी दिनचर्या में कुछ व्यायाम और हल्की गतिविधियाँ शामिल करना अहम होगा। गर्भावस्था के दौरान योग का अभ्यास करना कमाल की चीज होगी। हम इसकी खूबियों को बयां नहीं कर सकते। जिन महिलाओं का गर्भावस्था में अधिक वजन बढ़ जाता है, उनके लिए प्रसव अधिक कठिन हो सकता है और मोटापे से जुड़ी जटिलताओं को लेकर उन्हें अधिक खतरा बना रहता है।

यदि किसी कारण से आपने प्रेग्नेंसी टेस्ट को टाल रखा हो, तो इसे करने का समय यही है! आप प्रेग्नेंसी यूरिन टेस्ट सुपरमार्केट या केमिस्ट के यहाँ से खरीद सकते हैं, और ये उतने ही सही होते हैं जितने कि डॉक्टर की क्लिनिक में इस्तेमाल किए जाने वाले होते हैं।

जब आप छह महीने की गर्भवती होती हैं, तो शिशु असल रूप से मापा जा सकता है। भले ही उसके सिर से पैर तक की लंबाई मापना संभव होता है, पर अभी भी माप सटीक नहीं आता है, जिससे हमें आपके शिशु की ऊंचाई का अंदाजा नहीं मिलता है। यहाँ तक कि 6 हफ्तों की नाजुक उम्र में भी, शिशु घूमावदार स्थिति में रहता है और मुड़ा हुआ जोकि बाद में उनके पैर बन जाएगा। जब अल्ट्रासाउंड के जरिए शिशु को मापा जाता है तो उनके क्राउन से उनके रम्प तक की माप लेना मानक तरीका है। 6 हफ्ते के समय तक शिशु का औसत आकार 5-6 मिलिमीटर का होता है। इसका सिर अभी भी बाकी शरीर की तुलना में अधिक बड़ा होता है, पर नन्हें ढांचे दिखाई पड़ने लगते हैं, जिनसे उनके चेहरे और जबड़े का निर्माण होता है। उनके धड़ की ओर छोटी कली जैसे उभार अंततः उनके हाथ और पैर बनाते हैं। भले ही आपके कोख में ये सारी गतिविधियाँ चल रही होती हैं, पर अभी भी आपको छोड़कर किसी और के लिए यह बताना मुश्किल होता है कि आप गर्भवती हैं।

इस सप्ताह आपके शरीर में होने वाले बदलाव

  • अब आपको अधिक मतली हो सकती है, गंधों के प्रति अधिक संवेदनशीलता, अधिक थकावट और ऊर्जाहीनता का अनुभव हो सकता है। धैर्य बनाए रखिए और प्रकृति माँ से मुकाबला करने का प्रयास मत करिए। भले ही आपको अजीब लगता हो, पर आपको जो भी एहसास हो रहे हों वो सब के सब बुरे नहीं हैं।
  • आपको कई बार या हर कुछ दिनों में तबियत खराब लग सकती है, या भूख अनुभव कर सकती हैं। कुछ महिलाएँ इस प्रारंभिक अवस्था में भोजन के प्रति अधिक इच्छा रखने लगती हैं और उन्हें अधिक भूख लगती है, जो कि पहले नहीं होता था। मीट, मछलियाँ और समुद्री-भोज, फल और यहाँ तक कि बर्फ खाने के प्रति अधिक इच्छा जग सकती है। आगे पढ़ते रहिए ये जानने के लिए कि कुछ खाने की इच्छा जगना क्यों आम बात है।
  • आपके स्तन और निपल्स और भी अधिक संवेदनशील हो सकते हैं। आपकी शिराओं के फ़ैलाव के कारण आपके स्तन नीले रंग सा हो सकते हैं और उनका आकार तेजी से बढ़ रहा हो सकता है। आपके निपल्स अधिक काले होने लग सकते हैं और आपको ब्रा पहनने की अधिक जरूरत महसूस हो सकती है।
  • आपको अधिक वेजाइनल डिस्चार्ज दिखाई पड़ सकता है। यदि इसकी मात्रा काफी अधिक हो, तो आपको खुजली हो सकती हैं या गंदी बदबू आ सकती है, ऐसी स्थिति में अपने जीपी से मिलें। गर्भावस्था की अवधि में यीस्ट के संक्रमण आम होते हैं जब हॉर्मोनों का बदलाव तेज़ी से हो रहा होता है और योनि के सामान्य फ्लोरा-फॉना में भी बदलाव होते हैं।
  • आपको ऐसा लगेगा कि आपको अधिक थूक निगलना पड़ता है। कुछ गर्भवती महिलाओं को अधिक थूक बनने का अनुभव होता है और उन्हें उसे हटाने के लिए लगातार निगलना पड़ता है। यह सामान्य बात है और यह दिनों-दिन कम होता जाएगा।
  • कुछ महिलाएँ गर्भवती होने के 6 हफ्तों के आसपास से सिर दर्द की शिकायत करती हैं। दवा लेने का प्रयास न करें और सरल उपचार पर ध्यान दें, जैसे कि लेटना, कुछ स्वास्थ्यकर आहार लेना, तरल पदार्थों का अधिक सेवन करना और गुनगुने पानी से नहाना। सिर और उसकी त्वचा की मालिश काफी कारगर हो सकती है।
  • यदि आपको पहले से कोई बच्चा था, तो आपको अपनी कमर और छाती के आसपास कपड़े तंग होने का अनुभव हो सकता है। यह शिशु के आकार के कारण नहीं होता है, जो कि अभी भी आपके पेल्विस हिस्से में नीचे की ओर ही रहता है, बल्कि यह आंतरिक दबाव से पैदा होने वाली सामान्य सूजन से होता है।

इस बीच आपमें होने वाले भावनात्मक बदलाव

  • यह कई महिलाओं के लिए भावनात्मक रूप से एक दिलचस्प दौर हो सकता है। उनके गर्भ ठहरने की सच्चाई अब अधिक ठोस हो रही होती है और उसी तरह कुछ आम सुखदायक आदतों को छोड़ देने की जरूरत समझ आती है। सिगरेट पीना, शराब पीना या ड्रग्स लेना सभी जोखिम भरी आदतें हैं, ख़ासतौर से गर्भवती होने के दौरान। अब आपको इन चीजों को रोक देना है, क्योंकि इस समय आपका शिशु अपने विकास की एक अहम अवस्था में है।
  • आप हर बार जब बाथरूम जाती हैं तो आप अब भी भयभीत हो सकती हैं। भले ही आपके पीरियड के न आने को अभी कुछ हफ्ते ही हुए हैं और आपको गर्भ ठहरने का पक्का पता चल गया है, पर इसके बाद भी आपको गर्भ गिरने का डर लगा रहता है। यह जायज एहसास है और महिलाओं के मन में यह होना आम बात होती है। पर चिंता न करें! जबतक आप स्वस्थ हैं, हर कुछ अच्छा होगा।
  • आप अपनी खुशख़बरी को बताने का मन बना सकती हैं, पर गर्भ गिरने की चिंता के कारण आप ऐसा करने से झिझक सकती हैं। ऐसे में अपने साथी से बात करें कि कौन सा वह सही समय होगा जब आप दोनों सभी लोगों को यह खुशख़बरी देना चाहेंगे।

इस सप्ताह आपके शिशु में होने वाले बदलाव

  • इस हफ्ते आपका शिशु एक नन्हे टैडपोल जैसा दिखाई पड़ता है। सिर, नन्हा शरीर और छोटी कलियाँ जहाँ से पैर होंगे, दिखाई पड़ने लगते हैं। आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है; ये संरचनाएँ अधिक दिनों तक नहीं दिखाई पड़ेंगी, क्योंकि 6 हफ्ते में हर दिन उनमें बदलाव हो रहा होता है। यहाँ तक कि जब आप सो रही होती हैं, तब भी ये बदलाव जारी रहते हैं।
  • वेजाइनल अल्ट्रासाउंड में आपके शिशु के दिल की धड़कनों को सुना जा सकता है और यदि इसकी गिनती की जा सके तो यह लगभग 80BPM के करीब होती है।
  • उस नन्हे-से टैडपोल में अहम अंदरूनी अंगों का निर्माण हो रहा होता है, भले ही यह नन्हा हो, पर लिवर, किडनियों और फेफड़ों के लिए स्थान बन रहा होता है। इसमें हैरानी की बात नहीं होनी चाहिए कि आपको थकावट का अनुभव हो रहा है, क्योंकि आपकी ऊर्जा का एक बड़ा हिस्सा आपके विकसित हो रहे शिशु को जाता है।
  • यही वह हफ्ता है, जब आपके शिशु का जबड़ा, ठुड्डी और गालों का निर्माण शुरु होता है। भले ही वे काफी नन्हें हों पर वे इसी हफ्ते के बाद से बढ़ने लगते हैं।

इस हफ्ते के सुझाव

  • अपने बैग में काफी सारे नाश्ते रखें। सूखे नमकीन क्रैकर्स, मीठे बिस्किट्स और पानी जरूरी आइटम होंगे जिनके जरिए आप गर्भावस्था में होने वाली मतली से बच सकती हैं।
  • यदि आपको उल्टियाँ होती हों, तो अपनी कार में आइस-क्रीम रखना न भूलें। लिड को इस प्रकार रखें कि उसे आसानी से खोला जा सके। दूसरों के सामने खुद की तबियत खराब हो जाना जरा अप्रिय एहसास पैदा कर सकता है, पर याद रखें, आपके अंदर एक जीवन का निर्माण हो रहा है!आपके आस-पास मौजूद हर कोई यह समझता है कि यह कितना कठिन होता है, इसलिए उल्टी को लेकर या बार-बार टॉयलेट जाने को लेकर आप परेशान न हों।हर किसी को इन सब से होकर गुजरना पड़ता है।
  • इस हफ्ते किसी प्रकार के टॉक्सिंस, केमिकल्स, ड्रग्स, एक्स-रे, अल्कोहल से या किसी प्रकार के जोखिम भरे कामों से बचें। छठा हफ्ता भ्रूण के बदलावों और विकास के लिए अहम समय माना जाता है।
  • यदि आपका वजन घटा हो, तो चिंता न करें। मतली और उल्टी से वजन कम हो सकता है और आपके पास पर्याप्त समय होता है जिसमें आपके शरीर का वजन बढ़ जाता है और आने वाले हफ्तों में आप अधिक भारी होएंगी।

सोनोग्राफी में सीआरएल का मतलब क्या होता है?

भ्रूण के क्राउन रंप लैंथ का पता लगाने के लिए सीआरएल स्‍कैन (क्राउन रंप लैंथ) किया जाता है। भ्रूण की लंबाई को सीआरएल कहते हैं। बेबी की सिर से लेकर कूल्‍हों तक की लंबाई इसमें मापी जाती है। यह लंबाई सेटीमीटर में होती है।

अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में AC क्या है?

आपके शिशु के पेट का घेरा, जिसे अंग्रेजी में एब्डोमिनल सर्कमफेरेंस (एसी) भी कहा जाता है, यह बताता है कि आपके शिशु वजन उम्मीद के अनुसार बढ़ा है या नहीं। अगर, बार-बार स्कैन कराने पर भी यही पता चलता है कि आपका शिशु गर्भावधि उम्र के अनुसार काफी छोटा या बड़ा है, तो डॉक्टर आपको जल्दी प्रसव करवाने की सलाह दे सकती हैं।

सोनोग्राफी रिपोर्ट कैसे देखते हैं?

जब भी आप Sonography report देखते है तब आपको उसमें काला-उजला रंग का धब्बा ही दिखाई देता होगा, लेकिन उसी के बीच में मरीज के अंदर मौजूद पीड़ा के बारें में पता लगाई जाती है। दरअसल ऐसा रंग हवा और बाहरी फ्लूइड से बन जाती है। साथ ही ग्रे रंग की दिखने वाली हिस्सा शरीर की कोशिका होती है।

अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट कैसे पढ़े?

अल्ट्रासाउंड चित्र अल्ट्रासाउंड परिक्षण से प्राप्त तस्वीर में हड्डी जैसे ठोस उत्तक सफेद और सौम्य उत्तक स्लेटी (ग्रे) और चितकबरे दिखाई देते हैं। तरल पदार्थ (जैसे एमनियोटिक द्रव्य, जिसमें शिशु रहता है), तरंगों के प्रति कोई प्रतिध्वनि नहीं करता, इसलिए तस्वीर में काला दिखाई देता है।

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