ऐसे
इस तरह से,इस ढंग से،इस ढंग,प्रकार,या रूप से،ऐसा की जमा या मुग़ीरह हालत
ऐसे में
ऐसे ही
इसी तरह, उतना ही, यूं ही, बिना किसी ज़रूरत के, बिना किसी वजह के, बिना किसी शुल्क के
ऐसे-वैसे
तुच्छ, बेकार, निकम्मे, कम हैसियत वाले
ऐसे जी
(प्राचीन) ''बारे आप भी इस योग्य हो गए'' (दरयाए लताफ़त, ७५), अच्छी रही
ऐसे पर तीन हर्फ़
ऐसे बुरे आदमी से दूर ही रहना बेहतर है (किसी बरलान (= लानत) भेजने का मुहज़्ज़ब तरीक़ा
ऐसे ऐसे मदारी हम ने बहुत चंगे किए हैं
इन जैसे बहुत से शख्सों को हम ने दरुस्त कर दिया है
ऐसे गए जैसे गधे के सर से सींग
जाने के बाद न सूरत दिखाई, न ख़ैर-ख़बर भेजी, मादूम हो गए, निशान तक न मिला
ऐसे पर तो ऐसा काजल दिए पर कैसा
(तंज़िया) इस महल पर भी इस्तिमाल करते हैं जहां कोई शख़्स दौलत-ओ-स्रोत या इक़तिदार ना होने पर भी बदमिज़ाजी करे
ऐसे आदमी के दीदे में पेच पसा दीजिये
बहुत शोख़ दीदा और ढीट है, इस की आँखें फोड़ दो तो दिल ना दिखे
ऐसे लड़के बत खिलाए हैं
दांव या बहलाने फुसलाने में आने वाले नहीं
ऐसे होते तो 'ईद बक़रीद के काम आते
तनज़ा या मज़ाहा निकम्मे आदमी के लिए बोलते हैं जो किसी काबिल ना हो
ऐसे ऊत रिवाड़ी जाएँ आटा बेच के गाजर खाएँ
ऐसे बेवक़ूफ़ की निसबत मुस्तामल जो अपनी सारी पूनी खाने में ख़र्च कर दे
ऐसे मिरे भोले
जानबूझ कर अंजान बनने वाले को व्यंगात्मक संबोधन के रूप में प्रयुक्त
ऐसे ऐसे तो मेरी जेब में पड़े रहते हैं
मेरे सामने उनकी कोई हक़ीक़त नहीं, मैं उनके तुलना में बहुत ज़्यादा होशियार हूँ
ऐसे तो मेरी जेब में पड़े रहते हैं
सूरत में ऐसे , सीरत में ऐसे
हर तरह से ख़राब
डंडा ऐसे हाथ
हों तो ऐसे हों
किसी की तारीफ़ के मौके़ पर कहते हैं
जब ऐसे हो तब ऐसे हो
हमेशा एक जैसे हो
क्या ऐसे ला'ल लगे हैं
कोई ऐसे ही दाता देंगे
हिंदूस्तान के रज़ील फ़क़ीरों की सदा जो वो क़ाफ़िले की गाड़ीयों के सामने लगाते हैं
दुनिया में ऐसे रहिये जैसे साबुन में तार
दुनिया के धंदों में नहीं फंसना चाहिए, अलग थलग रहना चाहिए, दुनिया की गंदगी से बच कर रहना चाहीए
आप ऐसे आप वैसे
(किसी की) मुबालग़ा आमेज़ मदह-ओ-सताइश या ख़ुशामद के मौक़ा पर
जोखों भरना मरना चूके ना, ऐसे मरना जो कोई थूके ना
मरना बरहक़ पर इज़्ज़त की मौत मरना चाहिए या मरना बरहक़ मगर कुत्ते की मौत ना मरे
आप ऐसे आप वैसे आप ने चुराए छा टके पैसे
ख़ुशामद जिस में तज़हीक या बनाने का पहलू निकले
वो भी ऐसे गए जैसे गधे के सर से सींग
जाते हुए नज़र नहीं आए, बहुत जल्द चले गए, बिलकुल ग़ायब होगए (हिंदूओं का मानना है कि पहले गधे के सर पर सींग और घोड़ों के पर हुआ करते थे
ख़ैराँ ही ख़ैराँ देंगे , कोई ऐसे ही दाता देंगे
ख़ुमराओं के मांगने की सदा यानी ख़ुदा सलामत रखे, देंगे क्यों के ऐसे ही सखी दिया करते हैं
दाँत टूटे खुर घिसे पीठ न बोझा ले , ऐसे बूढ़े बैल को कौन बाँध भुस दे
जब आदमी ज़ईफ़ और कमज़ोर हो जाता है तो उसे कोई नहीं पूओछता , ज़ईफ़ी में इंसान की क़दर कम हो जाती है