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- Importance Of Practicing, We Can Be Skilled In Any Work By Practice, Motivational Story, Mahabharta Story In Hindi, Eklawya And Dronacharya
जीवन प्रबंधन:लगातार अभ्यास करते रहने से हम किसी भी काम में दक्ष हो सकते हैं, बार-बार रस्सी रगड़ने से पत्थर पर भी पड़ सकते हैं
- एकलव्य ने द्रोणाचार्य की प्रतिमा बनाकर किया था धनुष विद्या का अभ्यास और वह इस विद्या में पारंगत हो गया था
किसी भी काम में सफलता के लिए उसका अभ्यास करना बहुत जरूरी है। अभ्यास के बिना लक्ष्य तक पहुंचना मुश्किल होता है। अभ्यास का महत्व बताने के लिए एक दोहा बहुत प्रचलित है।
करत-करत अभ्यास के जङमति होत सुजान।
रसरी आवत जात, सिल पर करत निशान।।
इस दोहे का अर्थ यह है कि जब साधारण रस्सी को बार-बार किसी पत्थर पर रगड़ा जाता है तो पत्थर पर भी निशान पड़ सकता है। निरंतर अभ्यास से कोई मूर्ख व्यक्ति भी बुद्धिमान बन सकता है। लगातार अभ्यास करने के लिए आलस्य को त्यागना जरूरी है। अज्ञान को दूर करने के लिए पूरी एकाग्रता से मेहनत करनी होगी।
एकलव्य की कथा से समझ सकते हैं अभ्यास का महत्व
महाभारत में द्रोणाचार्य और एकलव्य की कथा हमें अभ्यास का महत्व बताती है। कथा के अनुसार एकलव्य द्रोणाचार्य से धनुष विद्या सीखना चाहता था, लेकिन द्रोणाचार्य ने उसे शिष्य बनाने से मना कर दिया था। इसके बाद एकलव्य ने द्रोणाचार्य की प्रतिमा बनाकर उसकी पूजा की और धनुष विद्या का अभ्यास शुरू कर दिया।
लगातार अभ्यास करते रहने से एकलव्य धनुष विद्या में पारंगत हो गया था। एक दिन द्रोणाचार्य पांडवों के साथ उस क्षेत्र में भ्रमण कर रहे थे, जहां एकलव्य अभ्यास करता था। उस समय पांडवों का कुत्ता एकलव्य के सामने भौंकने लगा। इससे एकलव्य की एकाग्रता भंग हो रही थी। तब एकलव्य ने कुत्ते का मुंह बाणों से बंद कर दिया, लेकिन कुत्ते मुंह से खून की एक बूंद भी नहीं निकली थी।
जब कुत्ते को द्रोणाचार्य ने देखा तो वे हैरान रह गए थे। क्योंकि, इतनी कुशलता बाण चलाना किसी महान यौद्धा का ही काम था। वे यौद्धा को ढूंढते हुए एकलव्य के पास तक पहुंच गए। एकलव्य की कुशलता देखकर द्रोणाचार्य ने सोचा कि ये अर्जुन से भी अच्छा धनुर्धर बन सकता है। ये सोच द्रोणाचार्य ने एकलव्य का अंगूठा गुरु दक्षिणा में मांग लिया था। ताकि भविष्य में अर्जुन ही सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर कहलाए।
अगर आप शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ हैं, तो यकीन मानिए आप बेहतरीन जीवन जी रहे हैं। वैसे तो जिससे भी पूछो, वो कोई-न-कोई परेशानी गिना ही देता है। कोई शारीरिक रूप से बीमार है, तो कोई तनाव भरी जिंदगी जी रहा है। इस स्थिति से बचने का एकमात्र उपाय योग है (1)। कई वैज्ञानिक शोध से भी इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि बेहतर स्वास्थ्य के लिए योग अच्छा विकल्प है। इन अध्ययनों के आधार पर हम यहां योग के लाभ के साथ ही योग से जुड़ी वो तमाम जानकारियां देंगे, जिन्हें आप जानना चाहते हैं।
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आइए, सबसे पहले यह जानते हैं कि योग क्या है।
विषय सूची
- योग क्या है – What is Yoga
- योग के प्रकार – Types of Yoga in Hindi
- योगासन के फायदे – Yoga Benefits in Hindi
- योगासन के आंतरिक स्वास्थ्य लाभ – Internal Health Benefits of Yoga in Hindi
- योगासन के बाहरी स्वास्थ्य लाभ – External Health Benefits of Yoga in Hindi
- योगासन के भावनात्मक स्वास्थ्य लाभ – Emotional Health Benefits of Yoga in Hindi
- योगासन के नियम – Rules of Yoga in Hindi
- योग करने का सही समय – Correct Time to Practice Yoga in Hindi
- योग के लिए आवश्यक चीजें – Things Required for Yoga in Hindi
- योगाभ्यास के दौरान मानसिक स्थिति कैसी होनी चाहिए – Mental State for Yoga in Hindi
- योगासन के लिए कुछ और टिप्स – Other Tips for Yoga in Hindi
योग क्या है – What is Yoga
योग क्या है, यह जानने के लिए हमें इसके मूल में जाना होगा। योग शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द ‘युज’ से हुई है, जिसका अर्थ जुड़ना है। योग के मूल रूप से दो अर्थ माने गए हैं, पहला- जुड़ना और दूसरा-समाधि। जब तक हम स्वयं से नहीं जुड़ पाते, तब तक समाधि के स्तर को प्राप्त करना मुश्किल होता है।
यह सिर्फ व्यायाम भर नहीं है, बल्कि विज्ञान पर आधारित शारीरिक क्रिया है। इसमें मस्तिष्क, शरीर और आत्मा का एक-दूसरे से मिलन होता है। साथ ही मानव और प्रकृति के बीच एक सामंजस्य भी बनता है। यह जीवन को सही तरीके से जीने का एक मार्ग है। गीता में भी श्रीकृष्ण ने कहा है कि योग: कर्मसु कौशलम यानी योग से कर्मों में कुशलता आती है ।
योग को ठीक-ठीक समझने के लिए हमें विख्यात दार्शनिकों, ज्ञानियों और योगियों के वक्तव्य को जानना होगा, जिन्होंने अपने-अपने हिसाब से योग को परिभाषित किया है।
- योग को धर्म, आस्था और अंधविश्वास के दायरे में बांधना गलत है। योग विज्ञान है, जो जीवन जीने की कला है। साथ ही यह पूर्ण चिकित्सा पद्धति है। जहां धर्म हमें खूंटे से बांधता है, वहीं योग सभी तरह के बंधनों से मुक्ति का मार्ग है। – ओशो
- जब कोई पूरे शरीर को ठीक से थामना सीख जाते हैं, तो वे पूरे ब्रह्मांड की ऊर्जा को अपने अंदर महसूस कर सकते हैं। यही योग है। – सद्गुरु जग्गी वासुदेव
- चित्तवृत्तिनिरोध: यानी चित्त की वृत्तियों को चंचल होने से रोकना ही योग है। आसान भाषा में कहें तो मन को भटकने न देना और एक जगह स्थिर रखना ही योग है (3)। – पतंजलि
आगे जरूरी जानकारी है
इस लेख के अगले भाग में हम योग के प्रकार की जानकारी दे रहे हैं।
योग के प्रकार – Types of Yoga in Hindi
ठीक-ठीक कहना तो मुश्किल है कि योग के प्रकार कितने हैं, लेकिन हम यहां आमतौर पर चर्चा में आने वाले प्रकारों के बारे में बता रहे हैं :
1. राज योग : योग की सबसे अंतिम अवस्था समाधि को ही राजयोग कहा गया है। इसे सभी योगों का राजा माना गया है, क्योंकि इसमें सभी प्रकार के योगों की कोई-न-कोई खासियत जरूर है। इसमें रोजमर्रा की जिंदगी से कुछ समय निकालकर आत्म-निरीक्षण किया जाता है। यह ऐसी साधना है, जिसे हर कोई कर सकता है। महर्षि पतंजलि ने इसका नाम अष्टांग योग रखा है और योग सूत्र में इसका विस्तार से उल्लेख किया है। उन्होंने इसके आठ प्रकार बताए हैं, जो इस प्रकार हैं :
- यम (शपथ लेना)
- नियम (आत्म अनुशासन)
- आसन (मुद्रा)
- प्राणायाम (श्वास नियंत्रण)
- प्रत्याहार (इंद्रियों का नियंत्रण)
- धारणा (एकाग्रता)
- ध्यान (मेडिटेशन)
- समाधि (बंधनों से मुक्ति या परमात्मा से मिलन)
2. ज्ञान योग : ज्ञान योग को बुद्धि का मार्ग माना गया है। यह ज्ञान और स्वयं से परिचय करने का जरिया है। इसके जरिए मन के अंधकार यानी अज्ञान को दूर किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि आत्मा की शुद्धि ज्ञान योग से ही होती है। चिंतन करते हुए शुद्ध स्वरूप को प्राप्त कर लेना ही ज्ञान योग कहलाता है। साथ ही योग के ग्रंथों का अध्ययन कर बुद्धि का विकास किया जाता है। ज्ञान योग को सबसे कठिन माना गया है। अंत में इतना ही कहा जा सकता है कि स्वयं में लुप्त अपार संभावनाओं की खोज कर ब्रह्म में लीन हो जाना है ज्ञान योग कहलाता है (4)।
3. कर्म योग : श्रीकृष्ण ने भी गीता में कहा है ‘योग: कर्मसु कौशलम्’ यानी कुशलतापूर्वक काम करना ही योग है। कर्म योग का सिद्धांत है कि हम वर्तमान में जो कुछ भी अनुभव करते हैं, वो हमारे पूर्व कर्मों पर आधारित होता है। कर्म योग के जरिए मनुष्य किसी मोह-माया में फंसे बिना सांसारिक कार्य करता जाता है और अंत में परमेश्वर में लीन हो जाता है। गृहस्थ लोगों के लिए यह योग सबसे उपयुक्त माना गया है (5)।
4. भक्ति योग : भक्ति का अर्थ दिव्य प्रेम और योग का अर्थ जुड़ना है। ईश्वर, सृष्टि, प्राणियों, पशु-पक्षियों आदि के प्रति प्रेम, समर्पण भाव और निष्ठा को ही भक्ति योग माना गया है। भक्ति योग किसी भी उम्र, धर्म, राष्ट्र, निर्धन व अमीर व्यक्ति कर सकता है। हर कोई किसी न किसी को अपना ईश्वर मानकर उसकी पूजा करता है, बस उसी पूजा को भक्ति योग कहा गया है। यह भक्ति निस्वार्थ भाव से की जाती है, ताकि हम अपने उद्देश्य को सुरक्षित हासिल कर सकें (6)।
5. हठ योग : यह प्राचीन भारतीय साधना पद्धति है। हठ में ह का अर्थ हकार यानी दाई नासिका स्वर, जिसे पिंगला नाड़ी कहते हैं। वहीं, ठ का अर्थ ठकार यानी बाई नासिका स्वर, जिसे इड़ा नाड़ी कहते हैं, जबकि योग दोनों को जोड़ने का काम करता है। हठ योग के जरिए इन दोनों नाड़ियों के बीच संतुलन बनाए रखने का प्रयास किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि प्राचीन काल में ऋषि-मुनि हठ योग किया करते थे। इन दिनों हठ योग का प्रचलन काफी बढ़ गया है। इसे करने से मस्तिष्क को शांति मिलती है और स्वास्थ्य बेहतर होता है (7)।
6. कुंडलिनी/लय योग : योग के अनुसार मानव शरीर में सात चक्र होते हैं। जब ध्यान के माध्यम से कुंडलिनी को जागृत किया जाता है, तो शक्ति जागृत होकर मस्तिष्क की ओर जाती है। इस दौरान वह सभी सातों चक्रों को क्रियाशील करती है। इस प्रक्रिया को ही कुंडलिनी/लय योग कहा जाता है। इसमें मनुष्य बाहर के बंधनों से मुक्त होकर भीतर पैदा होने वाले शब्दों को सुनने का प्रयास करता है, जिसे नाद कहा जाता है। इस प्रकार के अभ्यास से मन की चंचलता खत्म होती है और एकाग्रता बढ़ती है (8)।
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आगे जानिए कि योगासन के फायदे क्या-क्या हो सकते हैं।
योगासन के फायदे – Yoga Benefits in Hindi
योग तीन स्तरों पर काम करते हुए व्यक्ति को फायदा पहुंचा सकता है। इस लिहाज से योग करना सभी के लिए सही है।
- पहले चरण में यह मनुष्य को स्वास्थ्यवर्धक बनाते हुए उसमें ऊर्जा भरने का काम करता है (9)।
- दूसरे चरण में यह मस्तिष्क व विचारों पर असर डालता है। हमारे नकारात्मक विचार ही होते हैं, जो हमें तनाव, चिंता या फिर मानसिक विकार में डाल देते हैं। योग इस चक्र से बाहर निकालने में हमारी मदद करता है (10)।
- योग के तीसरे और सबसे महत्वपूर्ण चरण में पहुंचकर मनुष्य चिंताओं से मुक्त हो जाता है। योग के इस अंतिम चरण तक पहुंचने के लिए कठिन परिश्रम की जरूरत होती है। इस प्रकार योग के लाभ विभिन्न स्तर पर मिलते हैं।
आइए, अब जानते हैं कि योग के आसन किस प्रकार हमें सेहतमंद रखता है।
योगासन के आंतरिक स्वास्थ्य लाभ – Internal Health Benefits of Yoga in Hindi
नियमित योग करने पर आंतरिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर दिख सकता है। इससे कई समस्याओं को पनपने से रोका और उनके लक्षणों को कम किया जा सकता है। बस योग का लाभ पाने के लिए इसे रोजाना करते रहें।
1. रक्त प्रवाह : जब शरीर में रक्त का संचार बेहतर होता है, तो सभी अंग बेहतर तरीके से काम करते हैं। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) की वेबसाइट पर प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, योग करने से पूरे शरीर के रक्त संचार में सुधार हो सकता है। यही नहीं, हीमोग्लोबिन और लाल रक्त कोशिकाओं के स्तर को भी बढ़ावा मिल सकता है। इससे हृदय संबंधी रोग और खराब लिवर की परेशानी कम होने के साथ ही मस्तिष्क को ठीक से काम करने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा, योग करने से शरीर के सभी अंगों को पर्याप्त ऑक्सीजन मिल सकती है (11)।
2. संतुलित रक्तचाप : गलत जीवनशैली के कारण कई लोगों रक्तचाप की समस्या से जूझते हैं। अगर किसी को रक्तचाप से जुड़ी कोई भी परेशानी है, तो आज से ही किसी योग प्रशिक्षक की देखरेख में योग करना शुरू कर दें। योग करने से उच्च रक्तचाप को संतुलन में लाया जा सकता है। इस बात की पुष्टि एनसीबीआई की वेबसाइट पर पब्लिश एक रिसर्च से भी होती है (11)।
3. बेहतर श्वसन प्रणाली : श्वसन प्रणाली में आया कोई भी विकार हमें बीमार करने के लिए काफी है। ऐसे में योग हमें बताता है कि जीवन में सांस का क्या महत्व है, क्योंकि कई योगासन सांसों पर ही आधारित हैं। जब योग करते हैं, तो फेफड़े पूरी क्षमता के साथ काम करने लगते हैं, जिससे सांस लेना आसान हो जाता है (12)।
4. गैस्ट्रोइंटेस्टाइन में सुधार : योग के लाभ में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संबंधी समस्या से छुटकारा पाना भी शामिल है। इससे जुड़ी एक मेडिकल रिसर्च की मानें, तो योग करने से इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (पेट से संबंधित समस्या है, जिससे पेट में दर्द, ऐंठन और गैस हो सकती है) से कुछ हद तक राहत मिल सकती है। इस समस्या का एक लक्षण गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल डिसऑर्डर (पाचन तंत्र में इंफेक्शन या सूजन की समस्या) भी है। ऐसे में योग इस समस्या से छुटकारा दिलाकर गैस्ट्रोइंटेस्टाइन में सुधार कर सकता है (13)।
5. दर्द सहने की क्षमता : शरीर में कहीं भी और कभी भी दर्द हो सकता है। खासकर, जोड़ों में दर्द को सहना मुश्किल हो जाता है। वहीं, जब योग करते हैं, तो शुरुआत में इस दर्द को सहने की शारीरिक क्षमता बढ़ने लगती है। साथ ही नियमित अभ्यास के बाद यह दर्द कम होने सकता है (14)।
6. प्रतिरोधक क्षमता : बीमारियों से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता का बेहतर होना जरूरी है। प्रतिरोधक प्रणाली के कमजोर होने से शरीर विभिन्न रोग का आसानी से शिकार बन जाता है। चाहे स्वस्थ हैं या नहीं हैं, दोनों ही स्थिति में योग करना फायदे का सौदा साबित होगा। योग से प्रतिरोधक प्रणाली बेहतर हो सकती है (15)।
7. नई ऊर्जा : एक योग का लाभ ऊर्जावान बनाए रखना भी है। दरअसल, जीवन को सकारात्मक तरीके से जीने और काम करने के लिए शरीर में ऊर्जा का बना रहना जरूरी है। इसमें योग मदद करता है। योग को करने से थकावट दूर होती है और शरीर नई ऊर्जा से भर जाता है (9)।
8. बेहतर मेटाबॉलिज्म : हमारे शरीर के लिए मेटाबॉलिज्म प्रक्रिया जरूरी है। इससे ही शरीर को भोजन के जरिए ऊर्जा मिलती है, जिससे हम अपने दिनभर के काम कर पाते हैं। जब पाचन तंत्र, लिवर और किडनी अच्छी तरह काम करते हैं, तो मेटाबॉलिज्म भी ठीक से काम करता है। मतलब साफ है कि योग के जरिए मेटाबॉलिज्म को बेहतर किया जा सकता है (16)।
9. नींद के लिए : दिनभर काम करने के बाद रात को अच्छी नींद लेना जरूरी है। इससे शरीर को अगले दिन फिर से काम करने के लिए तैयार होने में मदद मिलती है। इसके लिए योग करना बेहतर होगा। एनसीबीआई की वेबसाइट पर प्रकाशित शोध में दिया है कि लंबे समय तक नियमित रूप से योग करने पर नींद की गुणवत्ता में सुधार हो सकती है (17)।
10. संतुलित कोलेस्ट्रॉल : एक योग का लाभ शरीर में कोलेस्ट्रॉल को संतुलित बनाए रखना भी है। एक वैज्ञानिक शोध के दौरान, दो महीने तक रोजाना योग करने वालों में वेरी लो डेंसिटी लिपोप्रोटीन (नुकसानदायक कोलेस्ट्रॉल) की मात्रा में कमी देखी गई। साथ ही हाई डेंसिटी कोलेस्ट्रॉल (लाभकारी कोलेस्ट्रॉल) में बढ़ावा हुआ। इस आधार पर कह सकते हैं कि योग करना कोलेस्ट्रॉल के लिए अच्छा होता है (18)।
11. नियंत्रित करता है सोडियम : शरीर में सोडियम की कमी हो या अधिकता दोनों ही हानिकारक हो सकते हैं (19)। इसी वजह से सोडियम की मात्रा का संतुलित रहना सेहत के लिए जरूरी होता है। इसके लिए योगासन मददगार हो सकता है। दरअसल, योग शरीर में सोडियम की मात्रा को कम करने का काम कर सकता है। इससे सोडियम को संतुलित रखने में मदद मिल सकती है (20)।
12. ट्राइग्लिसराइड्स में कमी : ट्राइग्लिसराइड्स हमारे रक्त में पाया जाने वाला एक तरह का फैट है, जो हृदय रोग व स्ट्रोक का कारण बन सकता है (21)। इसे कम करने के लिए नियमित योग करना जरूरी है (22)। योग करने से हृदय की गति थोड़ा बढ़ती है, जिस कारण ट्राइग्लिसराइड्स जैसी स्थिति से बचा जा सकता है।
13. लाल रक्त कोशिकाओं में वृद्धि : हमारे शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं का अहम योगदान होता है। ये फेफड़ों से ऑक्सीजन लेकर प्रत्येक अंग तक पहुंचाती हैं। लाल रक्त कोशिकाओं की कमी से एनीमिया तक हो सकता है (23)। योग करने से शरीर में इसकी मात्रा बढ़ने लगती है (24)।
14. हृदय रोग से बचाव : हृदय हमारे शरीर का नाजुक हिस्सा है। एक वैज्ञानिक अध्ययन के मुताबिक, योग हृदय को नुकसान पहुंचाने वाले सभी कारकों को दूर रखने का काम कर सकता है। इससे हृदय रोग से बचे रहने में मदद मिल सकती है (25)।
15. अस्थमा : अस्थमा होने पर श्वास नली सिकुड़ जाती है, जिससे सांस लेने में परेशानी होती है। जरा-सी धूल-मिट्टी में भी हमारा दम घुटने लगता है। अगर कोई ऐसी अवस्था में कोई योग करता है, तो फेफड़ों पर जोर पड़ता है और वो अधिक क्षमता के साथ काम करते हैं। इससे अस्थमा की स्थिति में कुछ हद तक सुधार हो सकता है (25)।
16. अर्थराइटिस : अर्थराइटिस यानी गठिया होने पर जोड़ों में सूजन और दर्द शुरू हो जाता है (25)। इस अवस्था में रोजमर्रा के काम करना मुश्किल लगने लगता है। ऐसे में योग करना फायदेमंद हो सकता है। किसी योग्य योग प्रशिक्षक के निरीक्षण में योग करने से जोड़ों में आई सूजन और दर्द धीरे-धीरे कम हो सकते हैं (27)।
17. कैंसर : यह कहना मुश्किल है कि योग करने से कैंसर ठीक हो सकता है या नहीं। हां, इतना जरूर कहा जा सकता है कि योग के जरिए कैंसर जैसी बीमारी से उबरने में मदद मिल सकती है। योग करने से कैंसर के मरीज में मौजूद विषैले जीवाणु खत्म हो सकते हैं। साथ ही मांसपेशियों में आया खिंचाव, तनाव और थकान कम और रक्त संचार बेहतर हो सकता है। इसके अलावा, कीमियो थेरेपी के दौरान होने वाली मतली व उल्टी जैसी समस्या से भी निपटा जा सकता है (28)।
18. माइग्रेन : अगर माइग्रेन का मरीज योग करता है, तो उसे सिर में होने वाले दर्द से राहत मिल सकती है। योग मांसपेशियों में आए खिंचाव को कम करता है और सिर तक पर्याप्त में ऑक्सीजन पहुंचाता है, जिससे माइग्रेन में राहत मिलती है (29)।
19. ब्रोंकाइटिस : मुंह, नाक और फेफड़ों को बीच हवा मार्ग को श्वास नली कहते हैं। जब इसमें सूजन आ जाती है, तो सांस लेना मुश्किल हो जाता है। चिकित्सीय भाषा में इस अवस्था को ब्रोंकाइटिस कहा जाता है (30)। योग इस सूजन को दूर कर सांस लेने में मदद करता है। योग के जरिए श्वास नली को खोलने में मदद मिल सकती है, जिससे ब्रोंकाइटिस से राहत मिल सकती है (31)।
20. कब्ज : यह ऐसी बीमारी है, जो अन्य बीमारियों के होने का कारण बनती है। दरअसल, पाचन तंत्र में समस्या होने पर कब्ज होता है। इसे ठीक करने के लिए दवाइयों से बेहतर योग है। योग के जरिए कब्ज जड़ से खत्म हो सकता है। योग सबसे पहले पाचन तंत्र को ठीक करेगा, जिससे कब्ज में भी सुधार होगा (32)।
21. बांझपन व रजोनिवृत्ति : अगर कोई प्रजनन क्षमता को बेहतर करना चाहता है, तो इसके लिए भी योग के आसन का वर्णन किया गया है। योग के जरिए शुक्राणु कम बनने की समस्या, यौन संबंधी समस्या, फैलोपियन ट्यूब में आई रुकावट या फिर पीसीओडी की समस्या को ठीक किया जा सकता है। इसके अलावा, रजोनिवृत्ति से पहले और उस दौरान नजर आने वाले नकारात्मक लक्षण भी योग के माध्यम से कम हो सकते हैं (33)।
22. साइनस व अन्य एलर्जी : साइनस के कारण नाक के आसपास की मांसपेशियों में सूजन आ जाती है। इससे सांस लेने में परेशानी होती है (34)। इस समस्या के लिए भी योग हर लिहाज से बेहतर है। साइनस में सांस संबंधी योग यानी प्राणायाम करने से नाक व गले की नलियां में आई रुकावट दूर होती है और सांस लेना आसान हो जाता है। इसके अलावा, अन्य प्रकार की एलर्जी को भी योग से ठीक किया जा सकता है (35)।
23. कमर दर्द : आजकल लोगों का ज्यादा काम बैठकर ही होता है। इस वजह से किसी-न-किसी को कमर दर्द की शिकायत हो ही जाती है। अगर योग्य प्रशिक्षिक की निगरानी में योग करें, तो हड्डी की लचक (फ्लेक्सिबिलिटी) बढ़ती है, जिससे कमर दर्द दूर हो सकता है (36)।
नीचे भी पढ़ें
योगासन के बाहरी स्वास्थ्य लाभ जानने के लिए पढ़ते रहें यह आर्टिकल।
योगासन के बाहरी स्वास्थ्य लाभ – External Health Benefits of Yoga in Hindi
शरीर के बाहरी स्वास्थ्य पर भी योग के लाभ देखे जा सकते हैं, जो कुछ इस प्रकार से हैं:
1. बढ़ती उम्र का असर कम : कुछ लोगों के चेहरे पर समय से पहले ही बढ़ती उम्र का असर नजर आने लगता है। ऐसे में अगर योग किया जाए, तो समय से पूर्व चेहरे पर पड़ने वाली झुर्रियों को कम किया जा सकता है (37)।
2. शारीरिक क्षमता का बढ़ना : गलत तरीके से उठने-बैठने और चलने-फिरने से शरीर की मुद्रा बिगड़ जाती है। इस वजह से शरीर में जगह-जगह दर्द, मांसपेशियों में विकार और हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। इन समस्याओं से बचने का सही तरीका योग है। नियमित रूप से योग करने से हड्डियां व मांसपेशियां मजबूत होती हैं, शरीर का आकार बेहतर होता है और शारीरिक क्षमता बेहतर होती है (38)।
3. संतुलित वजन : इन दिनों कई लोग मोटापे का शिकार हैं। इसका कारण गलत खानपान और दिनचर्या है। सबसे पहले हमारा पेट खराब होता है। पाचन तंत्र बेहतर न होना ही हर बीमारी की जड़ है। इससे निपटने का आसान और बेहतरीन तरीका योग ही है। अगर नियमित योग करते हैं, तो धीरे-धीरे वजन कम हो सकता है (39)।
4. सुडौल शरीर : योगासन सिर से लेकर पांव तक शरीर को संतुलित बनाता है और मानसिक व आत्मिक रूप से भी व्यक्ति को मजबूत बनाता है। इन सभी के बेहतर प्रकार से कार्य करने पर ही शरीर सुडौल बनता है (40)।
5. कोर की क्षमता का बढ़ना : कोर का मुख्य रूप से अर्थ शरीर की महत्वपूर्ण मांसपेशियों के समूह को कहा जाता है। शरीर के ठीक प्रकार से काम करने के लिए कोर का मजबूत रहना जरूरी है। शरीर का पूरा भार कोर पर ही टिका होता है। योग करने से कोर में मजबूत आती हैं, लचीलापन आता है और स्वस्थ रहती हैं (41)।
6. मांसपेशियों में सुधार : योग करने से मांसपेशियों की गतिविधि में सुधार होता है। यह मजबूत होती हैं और इनमें लचीलापन आता है (42)।
7. सहनशीलता में वृद्धि : जैसा कि इस लेख में कई बार लिखा गया है कि योग सिर्फ शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत बनाता है। इसकी जरूरत रोजमर्रा के काम में पड़ती है। खासतौर पर खिलाड़ियों के लिए मानसिक तौर पर मजबूत होना जरूरी है। वह जितना सहनशील रहते हैं, उतना ही उनके प्रदर्शन में सुधार नजर आता है। साथ ही हर व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों में सही निर्णय लेने में सक्षम हो पाता है (43)।
आगे पढ़िए, योग आसन के भावनात्मक स्वास्थ्य लाभ के बारे में।
योगासन के भावनात्मक स्वास्थ्य लाभ – Emotional Health Benefits of Yoga in Hindi
योग करने का असर मानसिक स्वास्थ्य के साथ ही भावनात्मक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। योग के भावनात्मक फायदे कुछ इस तरह हैं।
1. अच्छा मूड : जीवन में आगे बढ़ने और सफलता हासिल करने के लिए स्वभाव का अच्छा और सकारात्मक रहना जरूरी है। इस काम में योग मदद कर सकता है। यकीन मानिए, जब आप योग करते हैं, तो अंदर से पूरी तरह सकारात्मक ऊर्जा से भर जाते हैं। इससे मूड अच्छा होता है और दिनभर काम में मन लगा रहता है (44)।
2. तनाव कम : तनाव हर किसी के लिए नुकसानदायक है। व्यक्ति जब तनाव में होता है, उसके लिए सामान्य जिंदगी जीना मुश्किल हो जाता है। तनाव से बाहर निकलने का एकमात्र रास्ता योग है। जब योग करेंगे, तो नई ऊर्जा से भर जाएंगे। इससे तनाव का कम होना स्वाभाविक है (45)।
3. चिंता से छुटकारा : कहा जाता है चिंता चिता की जननी है, जो चिंता में डूबा उसका तनाव में जाना तय है। चिंता के कारण हृदय संबंधी बीमारियां तक हो सकती हैं। अगर कोई ज्यादा चिंता में डूबा रहता है, तो योग का सहारा ले सकता है। योग से न सिर्फ मानसिक विकारों व नकारात्मक सोच से उबर पाएंगे, बल्कि जीवन की तमाम दुविधाओं का सामना करने की क्षमता पैदा हो जाएगी (45)।
4. अवसाद से राहत : कई बार ऑफिस और घर का काम इतना ज्यादा हो जाता है कि कोई भी मानसिक दबाव में आ सकता है। इस अवस्था में कामों के बीच संतुलन बनाए रखना मुश्किल हो जाता है। इससे अवसाद की समस्या उत्पन्न हो सकती है, जिससे बचने का एक जरिया योग भी है (45)।
5. निर्णय लेने की क्षमता : योग व्यक्ति को मानसिक रूप से इस कदर मजबूत बनाता है कि जीवन से जुड़े महत्वपूर्ण निर्णय लेने में लोग सक्षम हो जाते हैं। साथ ही विपरीत हालत में स्वयं को कैसे संतुलित बनाए रखना है, यह निर्णय लेना भी आसान हो जाता है (40)।
6. एकाग्रता : एकाग्रता बढ़ाने में भी योग फायदेमंद हो सकता है। नियमित रूप से योग करते रहने से एकाग्रचित होकर काम करने में मन लगता है। इस दौरान मार्ग में आने वाली तमाम बाधाओं को भी आसानी से पार किया जा सकता है। वैसे भी कहा जाता है कि सफलता का मूल मंत्र काम के प्रति एकाग्रता है (40)।
7. अच्छी याददाश्त : योग के जरिए मस्तिष्क की कार्यप्रणाली पर भी सकारात्मक असर होता है। खासकर, छात्रों के लिए यह बेहद जरूरी है। परीक्षा के दौरान अपने मस्तिष्क को शांत रखना और बेहतर बनाना जरूरी है, ताकि वो जो भी पढ़ रहे हैं, उन्हें अच्छी तरह याद रहे । इन सबमें योग मददगार साबित हो सकता है (46)।
8. बारीकियों पर नजर : अक्सर कोई स्कूल, कॉलेज या फिर ऑफिस में ऐसे प्रोग्राम में जाते है, जिनमें किसी विषय के बारे में विस्तार से बताया जाता है और यह व्यक्ति लिए जरूरी भी होता है। इस तरह के माहौल में अमूमन होता यह है कि कुछ समय तो एक्टिव रहते हैं, लेकिन धीरे-धीरे ध्यान किसी और तरफ चला जाता है। इस प्रकार जरूरी बातों पर ध्यान नहीं दे पाते, लेकिन योग करने वाला व्यक्ति हर समय एक्टिव रहता है। वह हर बारीक से बारीक चीजों पर भी ध्यान रखता है (46)।
9. सकारात्मक विचार : योग का एक लाभ सकारात्मक विचार भी है। योग करने से जीवन को लेकर विचार सकारात्मक हो जाते हैं। वह जीवन को हर दिन नई ऊर्जा व जोश के साथ जीना पसंद करता है। वह जीवन भर ‘खुश रहो और दूसरों को खुश रखो’ इसी सिद्धांत का पालन करता है (47)।
लेख में बने रहे
चलिए, अब जानते है योग आसन के नियमों के बारे में।
योगासन के नियम – Rules of Yoga in Hindi
योग करने से पहले और करते समय कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है, जिनके बारे में हम नीचे बता रहे हैं :
- नियमानुसार योग को सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद करना चाहिए। सुबह जल्दी उठकर योग करना अधिक फायदेमंद होता है।
- योगासन से पहले हल्का वॉर्मअप करना जरूरी है, ताकि शरीर खुल जाए।
- योग की शुरुआत हमेशा ताड़ासन से ही करनी चाहिए।
- सुबह योगासन खाली पेट करना चाहिए।
- पहली बार योगासन करने वालों को शुरुआत में हल्के योग के आसन करने चाहिए। फिर जैसे-जैसे इनके अभ्यस्त हो जाएं, तो अपने स्तर को बढ़ाते जाएं। इस
- दौरान प्रशिक्षक की मदद लेना जरूरी है।
- अगर कोई शाम को योग कर रहे हैं, तो भोजन करने के करीब तीन-चार घंटे बाद ही करें। साथ ही योग करने के आधे घंटे बाद ही कुछ खाएं।
- योगासन करने के तुरंत बाद नहीं नहाना चाहिए, बल्कि कुछ देर इंतजार करना चाहिए।
- हमेशा आरामदायक कपड़े पहनकर ही योग करना चाहिए।
- जहां योग कर रहे हैं, वो जगह साफ और शांत होनी चाहिए।
- योग करते समय नकारात्मक विचारों को अपने मन से निकालने का प्रयास करें।
- योग का सबसे जरूरी नियम यह है कि इसे धैर्य से करें और किसी भी आसन में अधिक जोर न लगाएं। अपनी क्षमता के अनुसार ही इसे करें।
- सभी योगासन सांस लेने और छोड़ने पर निर्भर करते हैं, जिसका पूर्ण ज्ञान होना जरूरी है। संभव हो तो पहले इस बारे में सीख लें, उसके बाद ही स्वयं से करें।
- अगर कोई बीमार या गर्भवती है, तो डॉक्टर से सलाह लेने के बाद योग प्रशिक्षक की देखरेख में ही योगासन करें।
- हमेशा योगासन के अंत में शवासन जरूर करें। इससे तन और मन पूरी तरह शांत हो जाता है। शवासन करने पर ही योग का पूरी तरह से लाभ मिलता है।
- योग के दौरान ठंडा पानी न पिएं, क्योंकि योग करते समय शरीर गर्म होता है। ठंडे पानी की जगह सामान्य या हल्का गुनगुना पानी ही पिएं।
नीचे जरूरी जानकारी है
अब हम आपको योग करने का सही समय बताने जा रहे हैं।
योग करने का सही समय – Correct Time to Practice Yoga in Hindi
योग में समय की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यही वजह है कि नीचे हम योग करने के समय के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
- योग विज्ञान में दिन को चार हिस्सों में बांटा गया है, ब्रह्म मुहूर्त, सूर्योदय, दोपहर व सूर्यास्त। इनमें से ब्रह्म मुहूर्त और सूर्योदय को योग के लिए सबसे बेहतर माना गया है।
- ऐसा माना जाता है कि अगर योग के आसन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर करता है, तो सबसे ज्यादा फायदा होता है। उस समय वातावरण शुद्ध होता है और ताजी हवा चल रही होती है। अमूमन अध्यात्म ज्ञान प्राप्त करने वाले ही इस समय योगाभ्यास करते हैं।
- ब्रह्म मुहूर्त का समय सुबह तीन बजे का माना गया है। इस समय सभी का उठना संभव नहीं है, इसलिए सूर्योदय के समय भी योग कर सकते हैं। इससे शरीर दिनभर ऊर्जावान रहता है।
- ध्यान रहे कि योगासन हमेशा खाली पेट ही करें।
- सूर्यास्त के बाद भी योग कर सकते हैं। बस योग से तीन-चार घंटे पहले तक कुछ न खाया हो।
नीचे और जानकारी है
लेख के अगले भाग में हम योग करने के लिए जरूरी चीजें क्या हैं, वो बता रहे हैं।
योग के लिए आवश्यक चीजें – Things Required for Yoga in Hindi
योगाभ्यास के दौरान कुछ चीजों की जरूरत होती है, जिनमें ये शामिल हैं।
- साफ और आरामदायक योग मैट।
- आरामदायक कपड़े, जिनमें योगासन करते हुए परेशानी न हो।
- एक तौलिया भी साथ रख सकते हैं, ताकि पसीना आने पर पोंछ सकें।
- साफ पानी की बोतल।
- अगर किसी महिला या पुरुष के बाल लंबे हैं, तो उन्हें बांधें के लिए रबर बैंड का इस्तेमाल करें, ताकि योग करते समय ये बीच में न आएं।
- कुछ लोगों को शुरुआत में योग करते हुए दिक्कत हो सकती है, तो योग ब्लॉक्स व बेल्ट का उपयोग कर सकते है। इसे इस्तेमाल करने से पहले एक बार अपने ट्रेनर से पूछ लें।
- सबसे अहम बात यह है कि जिस कमरे में योग करें, वो साफ और शांत हो।
लेख अभी बाकी है
अब जान लेते हैं कि योगासन के समय मानसिक स्थिति किस तरह की होनी चाहिए।
योगाभ्यास के दौरान मानसिक स्थिति कैसी होनी चाहिए – Mental State for Yoga in Hindi
योग हमारे शरीर में नई ऊर्जा का संचार करता है। इस ऊर्जा को ग्रहण करने के लिए अपने शरीर को तैयार करना भी जरूरी है। इसी वजह से योग करते समय मन से सभी गलत विचारों को निकाल दें। इस बारे में बिल्कुल न सोचें कि योग करने से कोई लाभ होगा या नहीं और होगा तो कितने समय में होगा। योग के दौरान मन को पूरी तरह से स्थिर और शांत करने का प्रयास करें। हालांकि, शुरुआत में कुछ परेशानी हो सकती है, लेकिन धीरे-धीरे सब सामान्य हो जाएगा।
अंत तक पढ़ें लेख
अब हम योगासन से जुड़े कुछ जरूरी टिप्स दे रहे हैं।
योगासन के लिए कुछ और टिप्स – Other Tips for Yoga in Hindi
योगासन को अपने दैनिक रूटीन में शामिल करने का सोच रहे हैं, तो कुछ बातों को ध्यान में रखें। इनके बारे में नीचे कुछ बिंदुओं के माध्यम से बताया गया है।
- योग के लिए सोच-समझ कर अच्छे योग टीचर का चुनाव करें। इसमें कोई जल्दबाजी न दिखाएं।
- योग करते समय हमेशा अपने चेहरे पर हल्की मुस्कान रखें।
- जब भी पद्मासन या सुखासन पर बैठें, तो कमर को बिल्कुल सीधा रखें।
- सांस को मुंह से छोड़ें और नाक से लें।
- किस अवस्था में कब सांस लेनी है और कब छोड़नी है, उसका पूरा ज्ञान होना चाहिए।
- शरीर जितना साथ दे, उतनी देर ही योगासन करें। नियमित अभ्यास करने से ही शरीर में लचीलापन आएगा।
- कौन योग को कैसे कर रहा है, उस पर ध्यान दें। हर किसी के शरीर की अपनी सीमा होती है।
- स्वस्थ शरीर के लिए योग के साथ-साथ संतुलित भोजन भी करें।
- अगर कुछ समझ नहीं आ रहा है, तो योग टीचर से जरूर पूछें। कुछ गलत करने से बेहतर परामर्श लेना है। योग आसन गलत तरीके से करने पर फायदे की जगह हानि हो सकती है।
सावधानी : अगर कोई पहली बार योग कर रहा है, तो प्रशिक्षक की निगरानी में ही करें। वह उम्र, बीमारी व क्षमता के अनुसार उपयुक्त योगासन बताएंगे। कई ऐसी बीमारियां हैं, जिनमें कुछ योगासन वर्जित हैं, तो योग ट्रेनर से पूछकर ही योगासन करें।
इसमें कोई शक नहीं कि योग से सब संभव है। बस जरूरत है इसे करने का संकल्प लेने की, इसलिए आज ही किसी योग्य योग प्रशिक्षक का चुनाव करें और योग करना शुरू कर दें। हां, इस बात का जरूर ध्यान रखें कि योग करने से फर्क तुरंत नजर आएगा, लेकिन पूरी तरह से फायदा होने में समय लग सकता है। ऐसे में संयम के साथ योग करना जरूरी है। योग करके खुद को सेहतमंद रखें और इस जानकारी को दोस्तों के साथ शेयर करना न भूलें। योग करें, निरोग रहें!
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
मुझे सप्ताह में कितने दिन योग करना चाहिए?
हफ्ते में 6 दिन योग करके एक दिन का ब्रेक ले सकते हैं। चाहें तो हफ्ते के सातों दिन योग कर सकते हैं।
क्या 20 मिनट का योग एक दिन के लिए पर्याप्त है?
हां, शुरुआत में 20 मिनट योग करना पर्याप्त है। धीरे-धीरे योग करने का समय बढ़ा सकते हैं।
क्या योग से शरीर को सही आकार मिल सकता है?
जी हां, नियमति रूप से योग करने पर शरीर को सही आकार मिल सकता है (47)।
क्या योग जिम से बेहतर है?
जिम और योग दोनों अपना-अपना महत्व है। इन दोनों से ही शरीर फिट रहता है, लेकिन योग से मन को शांति भी मिलती है।
क्या योग बेली फैट बर्न करता है?
हां, योग करने से बेली फैट बर्न किया जा सकता है (48)।
क्या फिट रहने के लिए योग काफी है?
जी हां, योग शारीरिक और मानसिक रूप से फिट रहने में मदद कर सकता है । बस योग के साथ ही डाइट पर भी जरूर ध्यान दें।
Sources
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अनुज जोशी ने दिल्ली विश्वविद्यालय से बीकॉम और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से मास कम्युनिकेशन में एमए किया है। अनुज को प्रिंट... more
Dt. Arpita Jain is a Clinical Dietitian, Certified Sports Nutritionist and the founder of HEALVICK [Live Healthy. Feel Younger] in... more