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आधे अधूरे नाटक में कुल कितने पुरुष पात्र हैं?
इसे सुनेंरोकेंआधे अधूरे मोहन राकेश द्वारा लिखित हिंदी का प्रसिद्ध नाटक है। यह मध्यवर्गीय जीवन पर आधारित नाटक है। इसमें तीन स्त्री पात्र हैं तथा पाँच पुरुष पात्र। इनमें से चार पुरुषों की भूमिका एक ही पुरुष पात्र निभाता है।
आधे अधूरे नाटक की केंद्रीय पात्र कौन है?
इसे सुनेंरोकें’आधे-अधूरे’ नाटक एक चरित्र प्रधान नाटक है । नाटककार मोहन राकेश ने अपनी रचना को पुरुष प्रधान बनाने का प्रयत्न किया है लेकिन सावित्री ही इसमें मुख्य चरित्र है ।
आधे अधूरे में पुरुष एक कौन हैं?
इसे सुनेंरोकेंरंगमंच की दृष्टि से आधे-अधूरे नाटक को प्रयोगशील नाटक कहा जाता है। इस नाटक की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि एक ही पुरुष चार-चार पुरुषों की भूमिका मात्र वस्त्र परिवर्तन के आधार पर करता है। पुरुष एक (महेन्द्रनाथ) पुरुष दो (सिंघानिया) पुरुष तीन (जगमोहन) पुरुष चार (जुनेजा) के रूप में चित्रित है।
आधे अधूरे नाटक में कितने अंक हैं?
इसे सुनेंरोकेंयह नाटक ‘धर्मयुग’ पत्रिका में तीन अंकों में छपी थी। मध्यवर्गीय परिवार में आ रहे बदलाव का समाजशास्त्रीय और मनोवैज्ञानिक अध्ययन। स्त्री-पुरुष के बीच लगाव तथा तनाव का दस्तावेज। यह नाटक मानवीय संतोष के अधूरेपन को रेखांकित करती है।
आधे अधूरे नाटक का मुख्य उद्देश्य क्या है?
इसे सुनेंरोकेंमोहन राकेश का नाटक ‘आधे-अधूरे’ एक मध्यमवर्गीय परिवार की आंतरिक कलह और उलझते रिश्तों के साथ-साथ समाज में स्त्री-पुरुष के बीच बदलते परिवेश तथा एक-दूसरे से दोनों की अपेक्षाओं को चित्रित करता है। महेन्द्रनाथ बहुत समय से व्यापार में असफल होकर घर पर बेकार बैठा है और उसकी पत्नी सावित्री नौकरी करके घर चलाती है।
सुंदरी के अनुसार नारी का आकर्षण पुरुष को क्या बनाता है?
इसे सुनेंरोकेंनारी का आकर्षण पुरुष को पुरुष बनाता है, तो उसका अपकर्षण उसे गौतम बुद्ध बना देता है। है।
लहरों के राजहंस नाटक में सबसे प्रखर और स्पष्ट चित्रांकन किसका हुआ है?
इसे सुनेंरोकेंजीवन के प्रेय और श्रेय के बीच एक कृत्रिम और आरोपित द्वन्द्व है, जिसके कारण व्यक्ति के लिए चुनाव कठिन हो जाता है और उसे चुनाव करने की स्वतंत्रता भी नहीं रह जाती। अनिश्चित, अस्थिर और संशयी मन वाले नंद की यही चुनाव की यातना ही इस नाटक का कथा-बीज और उसका केन्द्र-बिन्दु है।
अपरिचित कहानी के लेखक कौन हैं?
इसे सुनेंरोकेंअपरिचित: मोहन राकेश की कहानी
आधे अधूरे नाटक कब लिखा गया?
इसे सुनेंरोकेंइस प्रकार कहा जा सकता है कि 1969 ई. में लिखा गया यह नाटक आज भी प्रासंगिक है। मेरे – लघु शोध का विषय – ‘आधे-अधूरे’ नाटक में अभिव्यक्त संवेदना एवं शिल्प है।
आधे अधूरे नाटक की प्रमुख समस्या क्या है?
लहरों के राजहंस नाटक के नायक नंद के मित्र कौन है?
इसे सुनेंरोकें⇒ नंदः नाटक का केन्द्रीय पात्र नंद गौतम बुद्ध का सौतेला भाई था। यह नाटक उनके मानसिक द्वन्द्व के इर्द-गिर्दं रचा गया है। एक ओर वे गौतम बुद्ध से प्रभावित होकर भिक्षु बनना चाहते हैं दूसरी ओर अपनी पत्नी सुन्दरी पर भी अनुरक्त है।
मल्लिका घर में रहने पर भी अंबिका कैसे रहती है?
इसे सुनेंरोकेंमल्लिका इस नाटक की एक प्रमुख पात्र है, जो अपनी माँ अंबिका के साथ एक झोंपड़ी में रहती है। उसके पिता नहीं हैं, और घर की आर्थिक स्थिति भी कुछ ठीक नहीं है। मल्लिका और कालिदास के संबंध को माँ पसंद नहीं करती जबकि मल्लिका अपने प्रेम को भावना के स्तर पर देखती है। यह संबंध उसके लिए अन्य किसी भी संबंध से ऊपर है।
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आधे अधूरे नाटक का लड़का बड़ी लड़की को इस घर में सबसे ज्यादा क्या कहता है?
इसमें तीन स्त्री पात्र हैं तथा पाँच पुरुष पात्र। इनमें से चार पुरुषों की भूमिका एक ही पुरुष पात्र निभाता है। हिंदी नाटक में यह अलग ढंग का प्रयोग है। इस नाटक का प्रकाशन १९६९ ई….
भाषा | हिंदी |
विषय | साहित्य – नाटक |
प्रकाशन तिथि | 1969 |
आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ | 978-8183618564 |
मोहन राकेश का आधे अधूरे नाटक कब प्रकाशित हुआ?
इसे सुनेंरोकेंआधे अधूरे प्रसिद्ध साहित्यकार, उपन्यासकार और नाटककार मोहन राकेश द्वारा रचित नाटक है। इसका प्रकाशन 16 अप्रैल, 2004 को ‘राधाकृष्ण प्रकाशन’ द्वारा किया गया था।
आधे अधूरे नाटक में महेन्द्रनाथ का मित्र कौन है?
इसे सुनेंरोकेंजुनेजा : महेन्द्रनाथ का मित्र जुनेजा है ।
आधे अधूरे नाटक के नायक कौन है?
इसे सुनेंरोकेंइस नाटक की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि एक ही पुरुष चार-चार पुरुषों की भूमिका मात्र वस्त्र परिवर्तन के आधार पर करता है। पुरुष एक (महेन्द्रनाथ) पुरुष दो (सिंघानिया) पुरुष तीन (जगमोहन) पुरुष चार (जुनेजा) के रूप में चित्रित है।
आधे अधूरे नाटक में कितने अंक है?
इसे सुनेंरोकेंयह नाटक ‘धर्मयुग’ पत्रिका में तीन अंकों में छपी थी। मध्यवर्गीय परिवार में आ रहे बदलाव का समाजशास्त्रीय और मनोवैज्ञानिक अध्ययन। स्त्री-पुरुष के बीच लगाव तथा तनाव का दस्तावेज। यह नाटक मानवीय संतोष के अधूरेपन को रेखांकित करती है।
आधे अधूरे नाटक की प्रमुख समस्या क्या है?
इसे सुनेंरोकेंमोहन राकेश का नाटक ‘आधे-अधूरे’ एक मध्यमवर्गीय परिवार की आंतरिक कलह और उलझते रिश्तों के साथ-साथ समाज में स्त्री-पुरुष के बीच बदलते परिवेश तथा एक-दूसरे से दोनों की अपेक्षाओं को चित्रित करता है। महेन्द्रनाथ बहुत समय से व्यापार में असफल होकर घर पर बेकार बैठा है और उसकी पत्नी सावित्री नौकरी करके घर चलाती है।
स प्रसाद ने अपने नाटक का नाम ध्रुवस्वामिनी क्यों रखा?
इसे सुनेंरोकेंप्रसाद ने अपने इस नाटक में नारी के अस्तित्व, अधिकार, पुनर्विवाह की समस्या को उठाया है। अतः प्रसाद का नाटक ‘ध्रुवस्वामिनी’ समाज में स्त्री चिंतन के विभिन्न दृष्टिकोणों को समग्रता में लिए हुए ऐतिहासिक व काल्पनिक कृति है।
प्रसाद ने अपने नाटक का नाम ध्रुवस्वामिनी क्यों रखा?
इसे सुनेंरोकेंध्रुवस्वामिनी नाटक का उद्देश्य तत्कालीन नारी समस्याओं को उठाया गया है। नारी दशा दयनीय थी, उसे अपमानित और पददलित किया जाता था। पुरुषों द्वारा अत्याचार किये जाते थे उन्हें गुलाम समझा जाता था। नाटक का उद्देश्य केवल विवाह मोक्ष(तलाक) या पुनर्लग्न की समस्या का हल मात्र नहीं है।