आटा बीसा का मेला किसे कहते हैं - aata beesa ka mela kise kahate hain

बिलासपुर के रतनपुर में माघी पूर्णिमा आदिवासी विकास मेले का आयोजन किया गया है. मेले में हजारों की संख्या में लोग पहुंच रहे हैं. कोरोना महामारी के कारण सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं होंगे.

बिलासपुर: रतनपुर में माघी पूर्णिमा आदिवासी विकास मेला का आयोजन किया गया है. रतनपुर में 7 दिनों का मेला लगा है. कोरोना महामारी के कारण सरकारी प्रदर्शनी नहीं लगाए गए हैं. इस बार सांस्कृतिक कार्यक्रम भी नहीं हो रहे हैं. मेले में घूमने आने वाले लोग झूले का आनंद ले पाएंगे. मेले में दुकानें सज कर तैयार हैं.

रतनपुर में 7 दिवसीय माघी पूर्णिमा मेले का आयोजन

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आदिवासी विकास मेला का आयोजन आठा बीसा तालाब के किनारे किया गया है. कहा जाता है राजा की मृत्यु के बाद उनकी 28 रानियां माघी पूर्णिमा के दिन उनके शव के साथ सती हो गईं थीं. इसके बाद उसी स्थान पर तालाब खुदवाया गया. तालाब को आठा बीसा तालाब के नाम से जाना जाता है.

मेले में दुकानें सजकर तैयार

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मेले में हजारों की तादात में पहुंच रहे लोग

जानकारों के मुताबिक राजा और रानियों की याद में माघी पूर्णिमा मेला का आयोजन किया जाता है. 27 फरवरी से लगने वाला रतनपुर का माघी पूर्णिमा मेला पूरे छत्तीसगढ़ में प्रसिद्ध है. ये मेला 1 सप्ताह तक जारी रहेगा. मेले में हजारों की तादात में लोग पहुंच रहे हैं.

500 से अधिक साल से लगते आ रहा मेला

बताया जाता है कि धार्मिक नगरी रतनपुर में यह मेला 500 से अधिक साल से लगते आ रहा है. मेले का एतिहासिक महत्व है. इस मेले की पारंपरिक प्रसाद उखरा लाई है. इसके अलावा दुकानों में कई मिठाइयां और जलेबी की दुकानें भी लगी हैं. प्राचीन परंपरा के अनुरूप यहां के चित्रकार परिवार लकड़ी के तलवार, चिड़िया गाड़ी बनाते हैं, जो प्रसिद्ध खिलौने हैं. मेले में तरह-तरह के झूला, सर्कस, मौत कुआं समेत कई मनोरंजन के साधन हैं, जो यहां की सुंदरता में चार चांद लगा रहे हैं.

छत्तीसगढ़ी सांस्कृतिक कार्यक्रमों का नहीं होगा आयोजन

मेले में लोक संस्कृति की भी छटा देखने को मिलता है, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण के खतरे के कारण सांस्कृतिक कार्यक्रमों को टाल दिया गया है. मेले में रोजाना छत्तीसगढ़ी सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते थे. एक से बढ़कर एक गीतकार और कलाकार पहुंचते थे. इस बार मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं हो रहे हैं. सरकारी तौर पर आदिवासियों से जुड़े स्टॉल भी लगाए जाते थे, लेकिन कोई प्रदर्शनी नहीं लगाए गए हैं.

भारत का सबसे बड़ा मेला कौन सा है?

भारत के सबसे बड़े और पुराने मेलों में से एक पुष्कर मेला। राजस्थान के पुष्कर शहर में अक्टूबर-नंवबर माह में आयोजित होता है।

मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा मेला कौन सा है?

रामलीला का मेला ग्वालियर जिले की भंडेर तहसील में इस मेले का आयोजन किया जाता है। ... .
हीरा भूमियां का मेला ग्वालियर, गुना और आसपास के क्षेत्रों में 'हिरामन बाबा' का नाम प्रसिद्ध है। ... .
पीर बुधान का मेला ... .
नागाजी का मेला ... .
तेताजी का मेला ... .
जागेश्वरी देवी का मेला ... .
अमरकंटक का शिवरात्रि मेला ... .
महामृत्यंजय का मेला.

राजस्थान के प्रमुख मेले कौन कौन से हैं?

राजस्थान के प्रमुख मेले (हिन्दू माह अनुसार).
मेले एवं त्यौहार जोधपुर का धींगागवर.
गणगौर की सवारी, जैसलमेर मलूका मेला दशहरा मेला, कोटा सांगोद का न्हाण, कोटा गौतमेश्वर का मेला, सिरोही घोटिया अम्बा मेला, बाँसवाड़ा फूलडोल उत्सव, शाहपुरा भर्तृहरि रानी सती का मेला, झुंझुनूं मारगपाली की सवारी सिंजारा धींगा गणगौर वरकाणा का मेला.

यूपी में कुल कितने मेले लगते हैं?

कैलाश मेला आस-पास के स्थानों से भक्त इस मेले में भाग लेते हैं

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