आर्थिक संवृद्धि तथा आर्थिक विकास से आप क्या समझते है अल्पविकसित देशों की विशेषताओं का वर्णन कीजिए? - aarthik sanvrddhi tatha aarthik vikaas se aap kya samajhate hai alpavikasit deshon kee visheshataon ka varnan keejie?

आर्थिक विकास की प्रक्रिया एक बहुत ही जटिल परिघटना है और बहुत से तथा विभिन्न प्रकार के कारकोंजैसे- राजनीतिकसामाजिक तथा सांस्कृतिक कारकों द्वारा प्रभावित होता है। 

आर्थिक विकास को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं-

1. आर्थिक कारक

(i) प्राकृतिक संसाधन : 

  • किसी अर्थव्यवस्था के विकास को प्रभावित करने वाला मुख्य कारक प्राकृतिक संसाधन है। प्राकृतिक संसाधनों में भूमिक्षेत्र और मिट्टी की गुणवत्तावन संपत्तिअच्छी नदी पद्धतिखनिज व तेल संसाधन और अच्छी जलवायु आदि सम्मिलित हैं। आर्थिक संवृद्धि के लिए प्राकृतिक संसाधनों का अधिक मात्रा में होना अनिवार्य है।
  • प्राकृतिक संसार में कमी वाला देशतीव्र गति से अधिक विकास करने की स्थिति में नहीं हो सकतालेकिन अच्छे प्राकृतिक संसाधनों की उपलब्धता आर्थिक संवृद्धि के लिए आवश्यक शर्तें हैंकिंतु यह पर्याप्त नहीं है। कम विकसित देशों में प्राकृतिक संसाधन अप्रयुक्तअल्पप्रयुक्त अथवा गलत प्रयुक्त होते हैं। उनके पिछड़ेपन के कारणों में से एक है। दूसरी ओरदेश जापानसिंगापुर आदि में पर्याप्त संसाधन नहीं हैंकिंतु वे संसार के विकसित देशों में से हैं। इन देशों ने उपलब्ध संसाधनों को सुरक्षित रखने मेंसंसाधनों के प्रबंध का सर्वोत्तम प्रयास तथा संसाधनों की बरबादी को न्यूनतम करने में वचनबद्धता दिखाई है।

(ii) पूंजी निर्माण 

  • किसी अर्थव्यवस्था के विकास के लिए पूंजी निर्माण एक दूसरा महत्वपूर्ण : कारक है। पूंजी निर्माण एक ऐसी प्रक्रिया हैजिसके द्वारा किसी समुदाय की बचतों को पंजीगत वस्तुओंजैसे- प्लांटउपस्कर और मशीनों के निवेश के लिए प्रयोग किया जाता हैजिससे देश की उत्पादन क्षमता तथा श्रमिकों की कुशलता में वृद्धि होती है तथा देश में वस्तुओं और सेवाओं के अधिक प्रवाह को सुनिश्चित किया जाता है।
  • पूंजी निर्माण की प्रक्रिया यह संकेत देती है कि समुदाय अपनी समस्त वर्तमान उपभोग की वस्तुओं पर नहीं खर्च करताकिंतु इसका एक भाग बचा लेता है और इसका प्रयोग पूंजीगत वस्तुओं का उत्पादन करने अथवा उन्हें प्राप्त करने में करता हैजो राष्ट्र की उत्पादन क्षमता में बहुत अधिक वृद्धि लाता है।

(iii) तकनीकी उन्नति 

  • आर्थिक संवृद्धि को प्रभावित करने के लिए तकनीकी उन्नति बहुत : महत्वपूर्ण कारक है। तकनीकी उन्नतिपुरानी विधियों में सुधार तथा उत्पादन की नई और बेहतर विधियों के अनुसंधान का संकेत देती है। कभी-कभी तकनीकी उन्नति का परिणाम उत्पादकता में वृद्धि होता है। 
  • दूसरे शब्दों मेंतकनीकी उन्नतिप्राकृतिक संसाधनों तथा अन्य संसाधनों का उत्पादन में वृद्धि करने के लिए अधिक प्रभावशाली तथा अधिक लाभप्रद प्रयोग करने की क्षमता को बढ़ाती है। अच्छी तकनीक के प्रयोग से दिए गए संसाधनों की सहायता से अधिक उत्पादन करना अथवा संसाधनों की कम मात्रा से उतना ही उत्पादन करना संभव हो जाता है। तकनीकी उन्नति प्राकृतिक संसाधनों का पूर्ण प्रयोग करने की योग्यता में सुधार लाती है। 
  • उदाहरण के लिएशक्ति के साधनों द्वारा चलाए जाने वाले कृषि के उपस्करों के प्रयोग से कृषि के उत्पादन में बहुत अधिक वृद्धि हुई है। संयुक्त राज्य अमेरिकाइंग्लैंडफ्रांसजापान तथा अन्य उन्नतिशील औद्योगिक राष्ट्र सबने उन्नतिशील तकनीकी के प्रयोग से औद्योगिक शक्ति प्राप्त कर ली है। वास्तव मेंउत्पादन की नई तकनीकी अपनाने से आर्थिक उन्नति में सुविधा हो जाती है।

(iv) उद्यमशीलता : 

  • उद्यमशीलता निवेश के नए अवसरों का पता लगाने की योग्यता की ओर संकेत है। इससे जोखिम उठाने तथा नई और बढ़ती हुई व्यावसायिक इकाइयों में निवेश करने की इच्छा में वृद्धि होती है। विश्व में बहुत से अल्प विकसित देशपूंजी की कमीआधारिक संरचनाअकुशल श्रमिकप्राकृतिक संसाधनों की कमी के कारण नहींकिंतु उद्यमशीलता की बहुत अधिक कमी के कारण निर्धन हैंइसलिए अल्पविकसित देशों में शिक्षानए अनुसंधान तथा वैज्ञानिक तथा तकनीकी विकास को प्रोत्साहन देकर उद्यमशीलता को बढ़ावा देने का वातावरण सृजित करना अनिवार्य है।

(v) मानव संसाधन विकास 

  • आर्थिक संवृद्धि के स्तर के निर्धारण के लिए अच्छी गुणवत्ता वाली जनसंख्या का होना बहुत ही महत्वपूर्ण है। इसलिएमानव पूंजी मेंशैक्षिकचिकित्सा संबंधी और ऐसी अन्य सामाजिक योजनाओं के रूप में निवेश बहुत अधिक वांछनीय है। मानव संसाधन विकास लोगों के ज्ञानकौशल तथा उनकी उत्पादकता बढ़ाने की क्षमता में वृद्धि लाता है।

(vi) जनसंख्या वृद्धि : 

  • श्रम की पूर्ति जनसंख्या वृद्धि से होती है और इससे वस्तुओं और सेवाओं के विस्तृत बाजार उपलब्ध होते हैं। इस प्रकारअधिक श्रम अधिक उत्पादन करता हैजिसे विस्तृत बाजार आत्मसात करता है। इस प्रक्रिया में उत्पादनआय तथा रोजगार बढ़ते जाते हैं और आर्थिक संवृद्धि में सुधार होता है। किंतु जनसंख्या में वृद्धि सामान्य होनी चाहिए। एक दौड़ती हुई जनसंख्या आर्थिक उन्नति में रुकावट लाती है। जनसंख्या में वृद्धि केवल एक अल्प जनसंख्या वाले देश में वांछनीय हैकिंतु भारत जैसे अधिक जनसंख्या वाले देश में यह वांछनीय नहीं है ।

(vii) सामाजिक लागतें :

  • आर्थिक संवृद्धि का एक अन्य निर्धारक सामाजिक लागतों का प्रावधान है। जैसे-स्कूलकॉलेजतकनीकी संस्थाएंचिकित्सा महाविद्यालयअस्पताल तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाएं हैं। ऐसी सुविधाएं कार्यशील जनसंख्या को स्वस्थकुशल तथा उत्तरदायी बनाती हैं। ऐसे लोग अपने देश को आर्थिक रूप से आगे बढ़ा सकते हैं।

आर्थिक संवृद्धि को प्रभावित करने वाले  गैर-आर्थिक कारक

गैर-आर्थिक कारकजिनमें सामाजिकआर्थिकसांस्कृतिकमनोवैज्ञानिक तथा राजनीतिक कारक सम्मिलित हैंभी आर्थिक विकास में समान रूप से महत्वपूर्ण हैंजैसे कि आर्थिक कारक हैं। 

1. राजनीतिक कारक

  • आधुनिक आर्थिक संवृद्धि में राजनीतिक स्थिरता तथा मजबूत प्रशासन अनिवार्य तथा सहायक हैं। एक स्थिरशक्तिशाली तथा कुशल सरकारईमानदार प्रशासनपारदर्शक नीतियां और उनको कुशलतापूर्वक लागू करने से निवेशकों के विश्वास में विकास होता है तथा इससे घरेलू तथा विदेशी पूंजी आकर्षित होती हैजिससे आर्थिक विकास तीव्र गति से होता है।

2. सामाजिक और मनोवैज्ञानिक कारक

  • सामाजिक कारकों में सामाजिक दृष्टिकोणसामाजिक मूल्य तथा सामाजिक संस्थाएं सम्मिलित हैंजो शिक्षा के विस्तार और एक समाज से दूसरे समाज में रूपांतरण से परिवर्तित होते हैं। आधुनिक विचारधारामूल्य तथा दृष्टिकोण से नई खोज तथा नवोत्पाद लाते हैं तथा परिणामस्वरूप नए उद्यमियों में वृद्धि होती है। पुराने सामाजिक रीति-रिवाजव्यावसायिक और भौगोलिक गतिशीलता को सीमित करते हैं और इस प्रकार आर्थिक विकास में बाधा लाते हैं।

3. शिक्षा 

  • यह अब भली प्रकार स्वीकार कर लिया गया है कि शिक्षा विकास का एक मुख्य साधन है। उन देशों में अधिक उन्नति प्राप्त कर ली गईजहां शिक्षा का अधिक विस्तार है। शिक्षा की मानव संसाधन विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका है। इससे श्रम की कुशलता में सुधार होता है और मानसिक संकुचित विचार नए विचारों और ज्ञान में सुधार लाते हैंजिनसे आर्थिक विकास में सहायता मिलती है।

4. भौतिक सुधार की इच्छा

  • भौतिक उन्नति की इच्छाआर्थिक विकास के लिए एक आवश्यक पहली शर्त है। समाजजो स्व-संतुष्टिस्व-स्वीकारभाग्य में विश्वास आदि रखते हैंजोखिम तथा साहस को सीमित करते हैं तथा देश को पिछड़ा हुआ रखते हैं। 

आर्थिक विकास से आप क्या समझते हैं आर्थिक विकास की विशेषताओं का वर्णन कीजिए?

आर्थिक विकास की अवधारणा विस्तृत अवधारणा है । आर्थिक विकास से आशय अर्थव्यवस्था में आर्थिक वृद्धि के अतिरिक्त कुछ अन्य क्षेत्रों में सकारात्मक परिवर्तन से है । दूसरे शब्दों में आर्थिक विकास का अर्थ आर्थिक वृद्धि तथा साथ ही साथ राष्ट्रीय आय के वितरण में वांछित परिवर्तन से तथा अन्य तकनीक व संस्थागत परिवर्तन होता है ।

आर्थिक विकास से क्या तात्पर्य है आर्थिक विकास एवं आर्थिक संवृद्धि में अन्तर बताइए?

संक्षेप में, आर्थिक विकास एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें पूर्ति के मौलिक कारकों तथा मांग की बनावट जैसे अंतर्संबंधित परिवर्तनों की एक लंबी श्रेणी सम्मिलित होती है, जिनसे देश के शुद्ध राष्ट्रीय उत्पादन में दीर्घकाल तक वृद्धि होती है। आर्थिक संवृद्धि से अभिप्राय देश में वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में वास्तविक वृद्धि से है।

आर्थिक विकास से आप क्या समझते हैं किसी देश के आर्थिक विकास को प्रभावित करने वाले तत्वों की विवेचना कीजिए?

किसी अर्थव्यवस्था के विकास को प्रभावित करने वाला मुख्य कारक प्राकृतिक संसाधन है। प्राकृतिक संसाधनों में भूमि, क्षेत्र और मिट्टी की गुणवत्ता, वन संपत्ति, अच्छी नदी पद्धति, खनिज व तेल संसाधन और अच्छी जलवायु आदि सम्मिलित हैंआर्थिक संवृद्धि के लिए प्राकृतिक संसाधनों का अधिक मात्रा में होना अनिवार्य है।

आर्थिक विकास से आप क्या समझते हैं इसके महत्व की व्याख्या कीजिए?

आर्थिक विकास वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा कम आय वाली राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाएं आधुनिक अर्थव्यवस्थाओं में बदल जाती हैं और इसके विकास की जिम्मेदारी सामाजिक और राजनीतिक कारक, मानव संसाधन, भौतिक पूंजी, प्राकृतिक संसाधन, प्रौद्योगिकी और तीन क्षेत्रों जैसे प्राथमिक, माध्यमिक और तृतीयक क्षेत्र पर निर्भर करती है और अगर इसके ...

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