क्रमाँकनामकार्यकाल (1)
लियाकत अली खान
(अगस्त 14, 1947 to अक्टूबर 16, 1951)
( 2)
खवाजा नज़ीमुद्दीन
(अक्टूबर 17, 1951 - अप्रैल 17, 1953)
( 3)
महामद अली बोगरा
(अप्रैल 17, 1953 - अगस्त 12, 1955)
( 4)
चौधरी महामद अली
(अगस्त 12, 1955 - सितंबर 12, 1956)
( 5)
हुसेन शहीद सुहरावर्दी
(सितंबर 12, 1956 - अक्टूबर 17, 1957)
( 6)
इब्राहीम इस्मैल चुन्द्रिगर
(अक्टूबर 17, 1957 - दिसम्बर 16, 1957)
( 7)
फीरोज़ खान नून
(दिसम्बर 16, 1957 - अक्टूबर 7, 1958)
( 8)
महामद अयूब खान
(अक्टूबर 7, 1958 - अक्टूबर 28, 1958) (चीफ़ मार्शल लॉ प्रशासक 24 अक्टूबर 1958 तक)
1958 से 1973 तक, सैनिक शासन के कारण प्रधानमंत्री के पद रिक्त रहा।
( 9)
नूरुल अमीन
(दिसम्बर 7, 1971 - दिसम्बर 20, 1971)
( 10)
ज़ुल्फिकार अली भुट्टो
(अगस्त 14, 1973 - जुलाई 5, 1977)
जुलाई 5, 1977 से मार्च 24, 1985 तक सैनिक शासन के कारण प्रधानमंत्री का पद नहीं रहा।
( 11)
महामद ज़िया-उल-हक
(जुलाई 5, 1977 - मार्च 24, 1985) (चीफ़ मार्शल लॉ प्रशासक)
( 12)
महामद खान जुनेजो
(मार्च 24, 1985 - May 29, 1988)
(पुनः)
मुहम्मद ज़िया-उल-हक़,
(जून 9, 1988 - अगस्त 17, 1988)
( 13)
बेनज़ीर भुट्टो
(दिसम्बर 2, 1988 - अगस्त 6, 1990)
( 14)
गुलाम मुस्तफा जतोई
(अगस्तt 6, 1990 - नवंबर 6, 1990)
( 15)
नवाज़ शरीफ
(नवंबर 6, 1990 - अप्रैल 18, 1993)
( 16)
बलख शेर मज़ारी
(अप्रैल 18, 1993 - May 26, 1993)
(पुनः प्रतिष्ठित)
नवाज़ शरीफ़
(May 26, 1993 - जुलाई 18, 1993)
( 17)
मोइन कुरेशी
(जुलाई 18, 1993 - अक्टूबर 19, 1993)
(पुनः)
बेनज़ीर भुट्टो
(अक्टूबर 19, 1993 - नवंबर 5, 1996)
( 18)
मिराज खालिद, (interim)
(नवंबर 5, 1996 - फ़रवरी 17, 1997)
(पुनः)
नवाज़ शरीफ़
(फ़रवरी 17, 1997 - अक्टूबर 12, 1999)
October 12, 1999, को परवेज़ मुशर्रफ़ नवाज़ शरीफ़ को हटा कर चीफ़ एग्ज़ीक्यूटिव बन बैठे और जून 20, 2001 को वे पाकिस्तान के राष्ट्रपति बन गए।
( 19)
परवेज़ मुशर्रफ
(अक्टूबर 12, 1999 - नवंबर 23, 2002), (12 Oct 1999, से 14 Oct 1999 तक चीफ़ एग्ज़ीक्यूटिव के रूप में)
10 अक्टूबर 2002 को प्रधानमंत्री के पद के लिए चुनाव हुए।
(20)
ज़फरुल्लाह खान जमाली
21 नवम्बर 2002 - 26 जून 2004
( 21)
चौधरी शुजात हुसेन -
30 जून 2004 से 28 अगस्त 2004 तक
( 22)
शौकत अज़ीज़ -
20 अगस्त 2004 से 16 नवम्बर 2007 तक
( 23)
मुहम्मद मियां सूम्रो -
16 नवम्बर 2007 से 25 मार्च 2008 तक
18 फ़रवरी 2008 को देश के आम चुनाव हुए।
( 24)
यूसुफ रजा गिलानी -
25 मार्च 2008 से 19 जून 2012 तक
( 25)
राजा परवेज़ अशरफ़ -
19 जून 2012 से 25 मार्च 2013 तक
( 26)
मीर हज़ार ख़ान खोसो -
25 मार्च 2013 से 5 जून 2013 तक
11 मई 2013 को देश के आम चुनाव हुए।
( 27)
नवाज़ शरीफ़ -
5 जून 2013 से ०१ अगस्त २०१७
(28)
शाहिद खाकन अब्बासी
01 अगस्त 2017 से 01 जून 2018
नासिर-उल-मुल्क
(अंतरिम प्रधानमंत्री)
01 जून 2018 - 17 अगस्त 2018
25 जुलाई 2018 को देश के आम चुनाव हुए।
(29)
इमरान ख़ान
18 अगस्त 2018 से 10 अप्रैल 2022 तक
(30)
शाहबाज़ शरीफ़
11 अप्रैल 2022 से वर्तमान
पाकिस्तान में कितने लंबे टिके सारे प्रधानमंत्री
पाकिस्तान में कोई भी प्रधानमंत्री आज तक अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है. एक नजर 1947 से अब तक पाकिस्तान में प्रधानमंत्री बनने वालों और उनके कार्यकाल पर.
तस्वीर: STF/AFP/GettyImages
सियासी अस्थिरताओं के लिए कुख्यात पाकिस्तान के सियासी हालात फिर से अस्थिर हैं. उम्मीदों के साथ सत्ता में आए इमरान खान अब बेआबरू होकर रुखसती की कगार पर हैं, लेकिन ये पाकिस्तान का कोई पहला ऐसा मामला नहीं है, जहां प्रधानमंत्री को वक्त से पहले अपनी कुर्सी से इस्तीफा देना पड़ा है. पाकिस्तान का इतिहास ही ऐसा रहा है कि आजादी के बाद से अब तक के उसके कुल 22 प्रधानमंत्री हुए हैं, लेकिन कोई भी प्रधानमंत्री पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है. आखिर क्या रहा है पाकिस्तान की सियासत का इतिहास, आखिर क्यों कोई प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है. आखिर कैसे अपने पड़ोसी देश में हुई सियासी हलचल का सीधा असर अपने देश पर पड़ता रहा है. आखिर सभी पाकिस्तानी प्रधानमंत्रियों का भारत के साथ रिश्ता कैसा रहा है. इसे सिलसिलेवार ढंग से समझने की कोशिश है हमारी खास सीरीज तख़्ता पलट. इसमें जिक्र होगा पाकिस्तान में हुए अब तक के कुल 22 प्रधानमंत्रियों का, जिन्हें वक्त से पहले अपने पद से रुखसत होना पड़ा है.
अविभाजित भारत में जब जवाहर लाल नेहरू के नेतृत्व में भारत में अंतरिम सरकार बनी तो जवाहर लाल नेहरू प्रधानमंत्री बने थे और मुस्लिम लीग के नेता लियाकत अली खान पहले वित्त मंत्री. जब भारत का बंटवारा हुआ और पाकिस्तान अलग मुल्क बना तो उस मुल्क के पहले प्रधानमंत्री बने लियाकत अली खान. पाकिस्तान के कायदे आजम मुहम्मद अली जिन्ना के बाद मुस्लिम लीग के सबसे बड़े नेता, जिन्होंने 14 अगस्त, 1947 को पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ली. सत्ता संभालने के साथ ही उन्हें सत्ता से हटाने की कोशिशें भी शुरू हो गईं थीं. पाकिस्तान के सोशलिस्ट और कम्युनिस्ट लियाकत के खिलाफ थे और उन्हें कुर्सी से हटाने की हर कोशिश कर रहे थे. इस बीच जिन्ना का भी धीरे-धीरे लियाकत से मोहभंग होने लगा था और जिन्ना को लगने लगा था कि लियाकत एक कमजोर प्रधानमंत्री हैं. जिन्ना जब तक कुछ कर पाते, उससे पहले ही 1948 में उनका निधन हो गया और लियाकत अली निर्विवाद तौर पर पाकिस्तान की सत्ताधारी मुस्लिम लीग के सबसे बड़े नेता बन गए. फिर फरवरी-मार्च 1951 में लियाकत अली को पता चला कि पाकिस्तानी सेना के एक जनरल अकबर खान ने उनका तख्तापलट करने की भी कोशिश की थी, जिसे नाकाम कर दिया गया था. पाकिस्तान के इतिहास में इसे रावलपिंडी कॉन्सपिरेसी के रूप में जाना जाता है, जिसमें पाकिस्तानी सेना के जनरल के अलावा भी 12 सैन्य अधिकारी शामिल थे.
हालांकि लियाकत अली खान के सिर से खतरा टला नहीं था. 16 अक्टूबर 1951 को पाकिस्तान के रावलपिंडी में मुस्लिम लीग की एक बड़ी सभा थी. ईस्ट इंडिया कंपनी गार्डन में करीब एक लाख लोगों की भीड़ अपने नेता और प्रधानमंत्री लियाकत अली को सुनने के लिए जुटी थी. इससे पहले लियाकत अली भारत के साथ पहली जंग कर मुंह की खा चुके थे. भारत से फिर जंग न हो इस कोशिश में भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू के साथ दिल्ली में नेहरू-लियाकत समझौता कर चुके थे. उस वक्त की दुनिया की दो महाशक्तियों अमेरिका और रूस में से किसी एक को चुनने की मजबूरी के तौर पर उनका हाथ अमेरिका की ओर बढ़ चुका था और भ्रष्टाचार रोकने के लिए लियाकत अली खान की ओर से पाकिस्तान में पब्लिक रिप्रेजेंटेटिव ऑफिसेस डिसक्वॉलिफिकेशन एक्ट लागू किया जा चुका था.
इन परिस्थितियों में करीब चार साल तक पाकिस्तान का नेतृत्व कर चुके लियाकत अली खान जब 16 अक्टूबर, 1951 को ईस्ट इंडिया कंपनी गार्डन में अपने लोगों के बीच पहुंचे और माइक से बोलने के लिए उठे तो मौजूद भीड़ ने तालियां बजाकर उनका इस्तकबाल किया. वो माइक पर पहुंचे और लोगों को बिरादरान-ए-मिल्लत कहकर आवाज दी, लेकिन इसके आगे वो कुछ नहीं कह पाए. माइक से लियाकत अली की आवाज की जगह गोलियों की दो आवाज गूंजी जो सीधे लियाकत अली खान को लगीं. तत्काल ही उन्हें मिलिट्री हॉस्पिटल ले जाया गया. खून चढ़ाया गया. ऑपरेशन हुआ, लेकिन सब नाकाम. शाम होते-होते इस बात की तस्दीक हो गई कि पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री और कैद-ए-मिल्लत यानी कि देश के नेता की मौत हो गई है.
कहा जाता है कि ये गोली चली थी प्रधानमंत्री लियाकत अली की सुरक्षा में मौजूद सीआईडी के लिए आरक्षित कुर्सियों में से एक पर बैठे सईद अकबर की ओर से, जो सीआईडी का था भी नहीं. और फिर एक पुलिसवाले ने निशाना लगाकर सईद अकबर को भी गोली मार दी. वो भी मौके पर ही मारा गया और फिर किस्सा खत्म. एक प्रधानमंत्री की मौत की कभी जांच ही नहीं हो पाई कि आखिर हुआ क्या था. ये आज भी एक रहस्य ही है कि क्या वाकई गोली सईद अकबर ने ही चलाई थी या फिर वो कोई और था जिसने सईद अकबर को मारकर इस पूरे हत्याकांड पर मिट्टी डाल दी. बाद में लियाकत अली खान को शहीद एक मिल्लत से नवाजा गया. जिस ईस्ट इंडिया गार्डन में उन्हें गोलियां मारी गईं उस गार्डन का नाम बदलकर लियाकत गार्डन कर दिया गया.
बहरहाल वक्त किसी के लिए रुकता नहीं है. तो वो नहीं रुका. लियाकत अली को तख्तापलट के जरिए नहीं हटाया जा सका तो उनकी हत्या कर दी गई.और उनकी जगह ली लियाकत अली खान के वक्त में गवर्नर जनरल रहे ख्वाजा नजीमुद्दीन ने, जो करीब डेढ़ साल तक ही अपने पद पर रह सके, क्योंकि उनकी सरकार को उन्हीं की ओर से नियुक्त गवर्नर जनरल सर मलिक गुलाम मोहम्मद ने अपनी ताकत का इस्तेमाल कर बर्खास्त कर दिया था. इसकी कहानी पढ़िए अगले एपिसोड में.
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1971 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कौन थे?
पाकिस्तान के पहले पीएम का क्या नाम है?
भारत का पहला मुस्लिम प्रधानमंत्री कौन था?
मुफ़्ती मोहम्मद सईद | |
जन्म | १२ जनवरी १९३६ बिजबिहारा, जम्मू और कश्मीर |
मृत्यु | 7 जनवरी 2016 (उम्र 79) नई दिल्ली |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
धर्म | मुस्लिम |