Wear 12 Mukhi Rudraksha in Pushya Nakshatra: रूद्राक्ष की शक्ति किसी से छुपी नहीं है। एक मुखी से लेकर 21 मुखी तक रूद्राक्ष पाए जाते हैं, जो मानव जीवन के अलग-अलग उद्देश्यों की पूर्ति में सहायक होते हैं। आज हम यहां बात कर रहे हैं 12 मुखी रूद्राक्ष की। नवग्रहों के राजा सूर्य की कृपा पाने के लिए 12 मुखी रूद्राक्ष धारण किया जाता है। इसके प्रतिनिधि देवता सूर्यदेव हैं। जिस जातक का सूर्य अच्छा होता है उसे जीवन में किसी भी अन्य ग्रह के बुरे प्रभाव छू भी नहीं पाते हैं, लेकिन यदि सूर्य खराब है तो बाकी के आठ ग्रह कितने भी अच्छे हों उनका पूरा प्रभाव नहीं मिल पाता। सूर्य की शक्ति प्राप्त करने के लिए 12 मुखी रूद्राक्ष पहना जाता है। इसे धारण करने से जीवन के समस्त सुख, ऐश्वर्य, पावर, नेतृत्व क्षमता स्वत: प्राप्त होने लगती है। इसे धारण करने का सबसे अच्छा समय पुष्य नक्षत्र होता है, जो साल के पहले दिन आ रहा है।
किसे पहनना चाहिए 12 मुखी रूद्राक्ष
- बिजनेस लीडर बनने के लिए यह रूद्राक्ष धारण किया जाता है, ताकिआप बड़ी से बड़ी टीम को सफलतापूर्वक लीड कर सकें।
- 12 मुखी रूद्राक्ष नेतृत्व क्षमता बढ़ाता है। राजनेताओं को यह धारण करना चाहिए, ताकिवे एक सफल नेता बन सकें और देश-प्रदेश की जनता को साथ लेकर चल सकें।
- प्रशासनिक अधिकारियों को यह अवश्य पहनना चाहिए। जो लोग सरकारी नौकरी से जुड़े हुए हैं उन्हें 12 मुखी रूद्राक्ष धारण करने से उम्मीद से बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं।
क्या है लाभ
- 12 मुखी रूद्राक्ष से सूर्य की शक्तियां प्राप्त होती हैं। आकर्षण प्रभाव बढ़ता है, चेहरे का तेज बढ़ता है।
- यह त्वचा और नेत्र संबंधी रोगों की रामबाण औषधि की तरह काम करता है।
- जन्म कुंडली में सूर्य के दुष्प्रभाव दूर करने के लिए इसे धारण करना चाहिए। यह राहु की भी शांति करता है।
- सिंह राशि और सिंह लग्न वाले जातकों को 12 मुखी रूद्राक्ष धारण करने की सलाह दी जाती है।
- 12 मुखी रूद्राक्ष हड्डी के रोगों, जोड़ों के दर्द में धारण किया जा सकता है।
- यह रूद्राक्ष आत्मविश्वास में वृद्धि करता है, डिप्रेशन और तनाव को दूर करता है। मन का भय इससे दूर होता है।
- राजनीति, प्रशासनिक सेवाओं, सरकारी नौकरी वालों को इसे जरूर पहनना चाहिए।
- यह धारण करने वाले को ऊर्जावान और युवा बनाए रखता है।
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कब और कैसे धारण करें
12 मुखी रूद्राक्ष सूर्य का प्रतीक है इसलिए इसे रविवार के दिन या सूर्य के नक्षत्र में धारण करना सबसे ज्यादा शुभ होता है। इसे पुष्य नक्षत्र में भी धारण किया जा सकता है। इसे रविवार के दिन मध्यकाल में एक तांबे के पात्र में रखकर गंगाजल से स्नान करवाएं। फिर साफ वस्त्र से पोंछकर आंक के पत्ते पर रखें। इसके बाद रौली और लाल चंदन का लेप करें। सूर्य के मंत्र ऊं ह्रां ह्रीं ह्रूं स: सूर्याय नम: मंत्र की एक माला लाल चंदन या रूद्राक्ष की माला से जाप करें। इसके बाद लाल धागे में डालकर गले में धारण कर लें। इसके बाद नित्य इसका पूजन करते रहें।
इन नियमों का पालन करें
- 12 मुखी रूद्राक्ष बहुत शक्तिशाली होता है। इसे पहनने के बाद शुद्धता का ध्यान रखना आवश्यक होता है।
- इसे रात्रि में सोते समय गले से निकालकर पूजा स्थान में रख देना चाहिए।
- 12 मुखी रूद्राक्ष की माला कभी धारण न करें, इसे केवल सिंगल पीस में पहना जाता है।
- अंत्येष्टि या शवयात्रा में जाने से पहले इसे निकालकर जाएं।
- यह रूद्राक्ष धारण करने के बाद शराब और मांसाहार का सेवन न करें।
- अपना पहना हुआ रूद्राक्ष किसी को न दें।
- यदि रूद्राक्ष टूट गया है तो इसे तुरंत जल में विसर्जित कर दें।
- श्रद्धा और विश्वास के साथ इसका नित्य पूजन करें।
- इसे पहनने के बाद अनुभव करें किसूर्य की शक्तियां आपके भीतर समाहित हो रही हैं।
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English summary
Rudraksha is a seed that is used as a prayer bead in Hinduism (especially in Shaivism).Wear 12 Mukhi Rudraksha in Pushya Nakshatra on the first day of the year 2021, Read Benefits here.
Story first published: Tuesday, December 29, 2020, 7:00 [IST]
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