Que : 2. भारत में 'चरवाही टैक्स' का चरवाहों के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा? किन्हीं दो का उल्लेख कीजिए।
Answer: चरवाहों पर चराई कर का प्रभाव–प्रति मवेशी कर लागू होने पर चरवाहों ने पशुओं की संख्या को सीमित कर दिया। अनेक चरवाहों ने अवर्गीकृत चरागाहों की खोज में स्थान परिवर्तन कर लिया। अनेक चरवाहा समुदायों ने पशुपालन के साथसाथ वैकल्पिक व्यवसायों को अपनाना आरंभ कर दिया। इससे पशुपालन करने वालों की कठिनाई को समझा जा सकता
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1 भारत में चरवाही टैक्स का चरवाहों के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा किन्हीं दो का उल्लेख कीजिए 2 2?
Answer: चरवाहों पर चराई कर का प्रभाव–प्रति मवेशी कर लागू होने पर चरवाहों ने पशुओं की संख्या को सीमित कर दिया। अनेक चरवाहों ने अवर्गीकृत चरागाहों की खोज में स्थान परिवर्तन कर लिया। अनेक चरवाहा समुदायों ने पशुपालन के साथसाथ वैकल्पिक व्यवसायों को अपनाना आरंभ कर दिया। इससे पशुपालन करने वालों की कठिनाई को समझा जा सकता है।
औपनिवेशिक शासन का चरवाहों की जिंदगी पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर: औपनिवेशिक शासन के दौरान चरवाहों की जिंदगी में गहरे बदलाव आए। उनके चरागाह सिमट गए, इधर-उधर आने जाने पर बंदिशें लगने लगीं और उनसे जो लगान वसूल किया जाता था उसमें भी वृद्धि हुई। खेती में उनका हिस्सा घटने लगा और उनके पेशे और हुनरों पर भी बहुत बुरा असर पड़ा।
चरवाही टैक्स कब लागू हुआ?
चरवाहों से चरागाहों में चरने वाले एक एक जानवर पर टैक्स वसूल किया जाने लगा। देश के ज़्यादातर चरवाही इलाकों में उन्नीसवीं सदी के मध्य से ही चरवाही टैक्स लागू कर दिया गया था।
चरवाहों ने इन बदलावों का सामना कैसे किया?
❇️ चरवाहों ने इन बदलावों का सामना कैसे किया :-
🔹 कुछ चरवाहों ने तो अपने जानवरों की संख्या ही कम कर दी । बहुत सारे चरवाहे नई नई जगह ढूंढने लगे । अब उन्हें जानवरों को चराने के लिए नई जगह ढूंढनी थी अब वह हरियाणा के खेतों में जाने लगे जहां कटाई के बाद खाली पड़े खेतों में वे अपने मवेशियों को चरा सकते थे ।